भोपाल AIIMS में दवाओं की खरीद पर उठे सवाल, 2100 की दवा दिल्ली में सिर्फ 285 में

भोपाल एम्स: दवाओं की कीमतों में हैरान करने वाला अंतर!
भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दवा खरीद के तरीके पर सवाल उठ रहे हैं। एक इंजेक्शन, जेमसिटेबिन, की कीमत में दिल्ली और भोपाल एम्स के बीच चौंकाने वाला अंतर सामने आया है। दिल्ली एम्स ने इसे 285 रुपये में खरीदा, जबकि भोपाल एम्स ने 2100 रुपये में! इस अंतर ने जांच शुरू करवा दी है और कई अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है।
संसद में उठा मुद्दा, स्वास्थ्य मंत्रालय जांच में जुटा
15 मई को, दिल्ली में हुई स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी की बैठक में भोपाल के सांसद ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने सवाल किया कि एक ही दवा की कीमत में इतना अंतर क्यों है? केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने जांच का आश्वासन दिया और मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी गई।
भोपाल एम्स में हुई गहन पूछताछ
दिल्ली से आई जांच टीम ने भोपाल एम्स के अधिकारियों से लगभग चार घंटे तक पूछताछ की। टीम ने दवा खरीद प्रक्रिया, दस्तावेजों और लेनदेन की पूरी जानकारी हासिल की। अब सभी की नजरें इस जांच के नतीजों पर टिकी हुई हैं।
नियमों की अनदेखी: अमृत फार्मेसी से सीधी खरीद
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के बाद से भोपाल एम्स ने केंद्र सरकार के दवा खरीद नियम (GFR 2017) का पालन नहीं किया। एम्स ने अमृत फार्मेसी से सीधे दवाएं खरीदीं, जबकि यह तरीका केवल आपात स्थिति में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। अन्य एम्स टेंडर प्रक्रिया से दवाएं खरीदते हैं।
पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा में कमी
भोपाल एम्स अकेला ऐसा केंद्र है जो अपनी सारी दवाएं अमृत फार्मेसी से सीधे खरीदता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा कम होती है, जो नियमों के खिलाफ है। इससे कीमतों में मनमानी बढ़ोतरी का भी खतरा रहता है।
लापरवाही या जानबूझकर घोटाला?
क्या यह लापरवाही थी या जानबूझकर किया गया घोटाला? जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। लेकिन इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की अहमियत को फिर से उजागर किया है।