
सोने की कीमतों में मंगलवार को लगातार चौथे दिन भी तेज़ी देखने को मिली। सोना 1,899 रुपये उछलकर 10 ग्राम का रेट 99,178 रुपये तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। इसकी बड़ी वजह यह रही कि लोगों में लगातार सोने को सुरक्षित निवेश मानने का रुझान बना हुआ है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर जून डिलीवरी वाले सबसे ज़्यादा कारोबार वाले कॉन्ट्रैक्ट की कीमत शुरुआती कारोबार में 1,899 रुपये या करीब 2 फीसदी बढ़कर 99,178 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई। इसके बाद जून वाला कॉन्ट्रैक्ट थोड़ी गिरावट के साथ 98,880 रुपये पर कारोबार करता दिखा, जो कि अब भी 1,601 रुपये या 1.65 फीसदी ऊपर था। इसमें 22,687 लॉट्स का ओपन इंटरेस्ट देखा गया। वहीं अगस्त महीने के लिए तय कॉन्ट्रैक्ट की कीमत भी 1,848 रुपये या 1.89 फीसदी बढ़कर 99,800 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई, जो इसका अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। इतना ही नहीं, अक्टूबर वाले कॉन्ट्रैक्ट ने पहली बार 1 लाख रुपये का आंकड़ा पार किया और 2,000 रुपये या 2 फीसदी की छलांग लगाकर 1,00,484 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया। विश्लेषकों का कहना है कि सोने की कीमत में ये उछाल अमेरिका की मौद्रिक नीति को लेकर बढ़ती चिंता की वजह से आया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल रिजर्व में बड़े बदलावों की बात कही है, जिससे बाज़ार में हलचल तेज़ हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी सोने की कीमतों में तेज़ी देखी गई और सोना एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए 3,504.12 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया। हालांकि बाद में थोड़ा मुनाफावसूली हुई और कीमत घटकर 3,490.72 डॉलर प्रति औंस रह गई, जो कि अब भी 65.42 डॉलर या 1.91 फीसदी ऊपर थी।
मेहता इक्विटीज़ लिमिटेड में कमोडिटीज़ के वाइस प्रेसिडेंट राहुल कलंत्री ने बताया, “अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पहली बार सोने की कीमत 3,500 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंची और घरेलू बाज़ार में भी 97,000 रुपये के पार निकल गई। इसका मुख्य कारण दुनियाभर के वित्तीय बाज़ारों में अनिश्चितता और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता ट्रेड वॉर है, जो कीमती धातुओं की मांग को बढ़ावा दे रहा है।” सोमवार को ट्रंप ने फिर से फेडरल रिजर्व से ब्याज दरें घटाने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि अगर फेड ने तुरंत ऐसा नहीं किया तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ सकती है। इस समय दुनियाभर के बाज़ारों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है, और इसी वजह से सोने की कीमतों में ज़बरदस्त उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। साथ ही, डॉलर इंडेक्स तीन साल के निचले स्तर पर आ गया, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप और फेड चेयर पॉवेल के बीच ब्याज दरों को लेकर तनातनी जारी है। शुक्रवार को व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हासेट ने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी टीम अब भी इस बात पर विचार कर रही है कि क्या फेड चेयर पॉवेल को हटाया जा सकता है। पिछले हफ्ते फेड चेयर पॉवेल ने कहा था कि फिलहाल ब्याज दरों में कटौती करने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि नई टैरिफ नीतियों से महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता दोनों बढ़ सकती हैं।