सरकार ने कोल ट्रेड एक्सचेंज के ड्राफ्ट पर सुझाव की समयसीमा बढ़ाई, अब 7 मई अंतिम तारीख

सरकार ने कोल ट्रेड एक्सचेंज से जुड़े प्रस्तावित नियमों पर जनता से सुझाव देने की आखिरी तारीख अब अगले महीने की शुरुआत तक बढ़ा दी है। इससे कोयले को एक कमोडिटी की तरह ट्रेड करने का रास्ता साफ होगा। कोयला मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, “मंत्रालय ने कोल ट्रेड एक्सचेंज के लिए ड्राफ्ट नियम जारी किए थे और उस पर लोगों से राय मांगी थी… अब मंत्रालय ने सुझाव और टिप्पणियां देने की आखिरी तारीख 6 अप्रैल 2025 से बढ़ाकर 7 मई 2025 कर दी है।” कोयला मंत्रालय की योजना है कि कोल ट्रेड एक्सचेंज (CTE) के रेगुलेटर के तौर पर कोल कंट्रोलर ऑर्गनाइजेशन (CCO) को अधिकार दिए जाएं। फिलहाल, देश में कोयले की बिक्री केवल सरकारी कंपनियों जैसे कोल इंडिया लिमिटेड के जरिए होती है। ऐसे में यह महसूस किया जा रहा है कि एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए, जहां कमर्शियल और कैप्टिव खनन करने वाले माइनर्स भी आसानी से अपना कोयला बेच सकें। मंत्रालय ने बताया कि इस प्लेटफॉर्म का नाम कोल ट्रेड एक्सचेंज (CTE) होगा और इसमें सरकारी कंपनियां भी हिस्सा ले सकेंगी। इस एक्सचेंज के जरिए कोयले को कमोडिटी की तरह खरीदा-बेचा जा सकेगा।
CTE का उद्देश्य एक ऐसा ओपन प्लेटफॉर्म बनाना है, जहां खरीददार और बेचने वाले दोनों एक साथ बोली लगा सकें। इससे कोयले की कीमत तय करने की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी हो सकेगी। इस एक्सचेंज के आने से देश में कोयला बिक्री का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। अभी का ‘वन टू मैनी’ मॉडल, जहां एक बेचने वाला कई खरीददारों को कोयला देता है, वह अब ‘मैनी टू मैनी’ यानी कई बेचने और कई खरीददारों के बीच खुला बाजार बन जाएगा। इसके साथ ही, एक्सचेंज में एक क्लीयरिंग और सेटलमेंट सिस्टम भी होगा, जिसमें एक्सचेंज ही दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाएगा। जैसे देश और दुनिया में अन्य कमोडिटी एक्सचेंज होते हैं, वैसे ही कोल ट्रेड एक्सचेंज को भी एक रेगुलेटर की निगरानी में चलाना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने CCO को इसका रेगुलेटर बनाने का प्रस्ताव रखा है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि आने वाले वर्षों में भारत का कोयला उत्पादन 2030 तक 1.5 बिलियन टन से भी ज्यादा होने की संभावना है। देश में कोयले की बढ़ती उपलब्धता को देखते हुए मंत्रालय का मानना है कि अब कोयले की बिक्री के मौजूदा तरीकों में बदलाव जरूरी हो गया है। इसलिए कोयला क्षेत्र में और भी सुधार लाने की ज़रूरत है ताकि बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल सके। सरकार ने पहले भी कहा था कि 2025 में कोल एक्सचेंज शुरू होने को लेकर वह काफी आशावादी है और इसकी तैयारियां तेजी से की जा रही हैं।