
शिवपुरी (Silent Heart Attack Case): शहर के फिजिकल थाना इलाके की इंद्रा कॉलोनी में रहने वाले 16 साल के एक लड़के की अचानक मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वो कुछ देर पहले ही बैडमिंटन खेलकर घर लौटा था। खाना खाते वक्त उसे घबराहट हुई और तबीयत बिगड़ने लगी। घरवाले तुरंत उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज लेकर गए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों के मुताबिक मौत की वजह साइलेंट हार्ट अटैक बताई जा रही है, जबकि परिवार का कहना है कि उसे पहले कभी कोई दिक्कत नहीं हुई थी। इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक की बात सुनकर पूरे शहर में लोग हैरान हैं और इसी पर चर्चा कर रहे हैं। इंद्रा कॉलोनी के रहने वाले जयदीप राठौर के चाचा सचिन राठौर ने बताया कि जब जयदीप की हालत बिगड़ी तो वो उसे तुरंत जिला अस्पताल ले गए, लेकिन वहां से डॉक्टरों ने हालत गंभीर देखकर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने करीब एक घंटे तक जान बचाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं बच सका। जयदीप दसवीं क्लास का छात्र था। ये हाल के दिनों में सामने आया तीसरा मामला है शिवपुरी के रन्नौद इलाके में 4 मार्च को शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में 12वीं की परीक्षा देते वक्त 17 साल का शिवम शर्मा अचानक पसीने से तर-बतर होकर बेहोश हो गया था। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने साइलेंट अटैक की आशंका जताते हुए ग्वालियर रेफर कर दिया। अब उसकी हालत ठीक है।
वहीं, फक्कड़ कॉलोनी के रहने वाले 21 साल के पवन रजक 7 मार्च को सिद्ध बाबा मंदिर में प्रसाद लेते समय अचानक गिर पड़े। परिवार वाले उन्हें अस्पताल लेकर भागे लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें भी मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर बोले – ये साइलेंट अटैक नहीं, बल्कि HOCM है जवान बच्चों की अचानक हो रही इन मौतों के पीछे की वजह जानने के लिए जब मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. दिनेश राजपूत से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि ये हार्ट अटैक नहीं बल्कि HOCM यानी हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी की वजह से हो रहा है। डॉ. राजपूत ने समझाया कि ये दिल की नसों में होने वाली एक गड़बड़ी है। इसमें दिल के निचले हिस्से की दीवारें मोटी और सख्त हो जाती हैं। जब बच्चा ज़्यादा मेहनत वाला कोई काम करता है – जैसे दौड़ना, खेलना या एक्सरसाइज – तो उसके दिल को ज्यादा खून की जरूरत होती है, लेकिन HOCM की वजह से दिल को उतनी मात्रा में खून नहीं मिल पाता, जिससे हालत खराब हो जाती है। डॉ. राजपूत बताते हैं कि ये बीमारी अक्सर युवाओं में देखने को मिलती है। हार्ट अटैक में तो कई बार इलाज का वक्त मिल जाता है, लेकिन HOCM में तबीयत अचानक बिगड़ती है और कई बार जान बचाना मुश्किल हो जाता है। HOCM के लक्षणों को समझना आसान नहीं डॉ. राजपूत का कहना है कि इस बीमारी के लक्षण ऐसे नहीं होते जो आसानी से पकड़ में आ जाएं। जब तक मेडिकल जांच न हो, तब तक इसका पता लगाना मुश्किल है। इसमें तेज चलने पर सांस फूलना, थकान महसूस होना, टेंशन होना या भूख न लगना जैसे लक्षण हो सकते हैं। लेकिन अक्सर बच्चों में इन लक्षणों को हम सामान्य मान लेते हैं। परिवार को लगता है कि बच्चा खेलकर आया है, थक गया होगा, इसलिए खाना नहीं खा रहा या ठीक से सांस नहीं ले पा रहा। यही वजह है कि यह बीमारी समय रहते पकड़ में नहीं आती और अचानक ऐसे दुखद हालात बन जाते हैं।