
रुपया हुआ कमजोर: क्या है वजह और आगे क्या होगा?
सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 17 पैसे गिरकर 86.72 पर आ गया। इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिन पर हम विस्तार से बात करेंगे।
तेल की कीमतों में उछाल
ईरान पर हुए हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं, जिससे भारत जैसे तेल आयातक देशों पर दबाव बढ़ा। तेल महंगा होने से आयात पर खर्च बढ़ता है और रुपये पर असर पड़ता है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि इससे देश का व्यापारिक घाटा बढ़ सकता है।
डॉलर की मजबूती और शेयर बाजार में गिरावट
डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी से डॉलर और मजबूत हुआ, जिससे रुपये पर और दबाव पड़ा। घरेलू शेयर बाजार में भी गिरावट से निवेशकों का भरोसा कम हुआ, जिससे रुपये को और सहारा नहीं मिला। यह एक ऐसा संकेत है जो आर्थिक अनिश्चितता को दर्शाता है।
विदेशी निवेश और विदेशी मुद्रा भंडार ने संभाला मोर्चा
हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बड़ी खरीदारी और देश के बढ़े हुए विदेशी मुद्रा भंडार ने रुपये की ज्यादा गिरावट को रोका। यह एक सकारात्मक संकेत है जो आर्थिक स्थिरता को दर्शाता है। यह दिखाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था में अभी भी विश्वास है।
हॉर्मुज जलडमरूमध्य पर मंडराता खतरा
मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से हॉर्मुज जलडमरूमध्य को लेकर चिंता बढ़ी है। ईरान की संभावित जवाबी कार्रवाई से वैश्विक तेल आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं। यह एक अनिश्चितता का माहौल बनाता है।
रूस और अमेरिका से तेल आयात से मिली कुछ राहत
भारत ने रूस और अमेरिका से तेल का आयात बढ़ाया है ताकि गल्फ देशों पर निर्भरता कम हो। लेकिन, तेल की बढ़ती कीमतें अभी भी भारत के चालू खाते के घाटे को बढ़ा सकती हैं और रुपये पर दबाव डाल सकती हैं। आरबीआई बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रयास कर रहा है।
शुक्रवार की राहत और सोमवार की गिरावट
शुक्रवार को रुपया मजबूत हुआ था, लेकिन सोमवार को फिर गिरावट आई। यह दर्शाता है कि बाजार में अभी भी अस्थिरता है और आगे क्या होगा यह कहना मुश्किल है। यह एक अस्थिर स्थिति को दर्शाता है।