रायपुर : बृहस्पति के उपग्रह यूरोपा में पहुंचेंगें जशपुर के 30 बच्चों के नाम
सोमवार को अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा के द्वारा फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर यूरोपा क्लीपर नामक अंतरिक्ष यान बृहस्पति और उसके चंद्रमा यूरोपा के लिए रवाना हुआ। यह अंतरिक्ष यान पृथ्वी से परे जीवन की तलाश के लिए बृहस्पति के उपग्रह यूरोपा की बर्फीली परत के नीचे जमे हुए महासागर तल पर प्रकाश डालेगा।
बृहस्पति के 95 ज्ञात उपग्रहों में से एक यूरोपा के लिए जब इस अंतरिक्ष यान ने उड़ान भरी तो अपने साथ सिलिकॉन चिप में 26 लाख लोगों के सपनों को भी अपने साथ अंतरिक्ष में लेकर उड़ा। जहां यूरोपा क्लीपर में रखे सिलिकॉन चिप में 26 लाख लोगों के नामों के साथ जशपुर जिले के भी 30 बच्चों, शिक्षकों एवं जशपुर के निवर्तमान जिलाधीश डॉ. रवि मित्तल का नाम भी अपने साथ लेकर ऊँचाइयों को छूता गया।
इस संबंध में नवसंकल्प शिक्षण संस्थान के विषय विशेषज्ञ विवेक पाठक ने बताया कि नासा के अंतरिक्ष यान यूरोपा क्लीपर के साथ जशपुर के बच्चों के नाम भी अंतरिक्ष यान के साथ बृहस्पति के उपग्रह यूरोपा की यात्रा पर निकल गए हैं। इसके द्वारा जिला प्रशासन का प्रयास है कि बच्चों को अधिक से अधिक विज्ञान विषय के प्रति रुचि बढ़ा कर उन्हें विज्ञान के अनुप्रयोगों के लिए प्रेरित करना है एवं उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान के अदभुत ज्ञान प्रति जागरूक करना है। इससे पहले भी परसिविएन्स रोवर के माध्यम से अंतरिक्ष यान के द्वारा जिले के सैंकड़ों बच्चों के नामों को सिलिकॉन चिप द्वारा मंगल ग्रह पर भेजा गया था। ज्ञात हो कि यूरोपा क्लिपर अगले वर्ष की शुरुआत में मंगल ग्रह से निकट से गुजरेगा और फिर 2026 के अंत में पृथ्वी के निकट से गुजरते हुए 2030 में बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर पहुंचेगा।
इस संबंध में गम्हरिया की छात्रा आकांक्षा तिर्की ने कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि मैं और मेरे साथियों का नाम अब अंतरिक्ष में बृहस्पति ग्रह के उपग्रह यूरोपा तक पहुंच रहा है। हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारा नाम भी अंतरिक्ष में पहुंच पायेगा। हमारे नाम के साथ हमें महसूस हो रहा है जैसे हम भी अंतरिक्ष में पहुंच गए है। हम इस पहल के लिये मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हैं जो हमें ये अवसर दिया।
छात्रा प्रीति निराला ने कहा कि हम तो आज तक जमीन से टेलीस्कोप के द्वारा बृहस्पति को देखा था अब जब भी आसमान में बृहस्पति को देखेंगे तो सभी को गर्व से बताएंगे कि यहां से 290 करोड़ किमी दूर भी हमारा नाम बृहस्पति के यूरोपा उपग्रह पर जा चुका है। इसके लिए हम छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन के आभारी हैं।