MP नर्सिंग घोटाला: फर्जी मान्यता की जांच के लिए याचिकाकर्ता को सौंपा गया बड़ा काम

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश के तहत राज्य सरकार ने प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले से जुड़े अपात्र संस्थानों की मान्यता और संबद्धता से संबंधित मूल फाइलें पेश कर दी हैं। इनकी संख्या हजारों में है। हाईकोर्ट की विशेष पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी और न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल शामिल हैं, ने जनहित याचिका लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, अधिवक्ता विशाल बघेल को इन फाइलों की गहन जांच का जिम्मा सौंपा है। उन्हें महाधिवक्ता कार्यालय में इन दस्तावेजों की समीक्षा करनी होगी और फिर यह रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपनी होगी। रिपोर्ट में उन अधिकारियों के नाम भी शामिल होंगे जिन्होंने अपात्र नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी थी। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा है कि वह अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट करे कि किन परिस्थितियों में और किन कमियों के बावजूद इन नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई, जबकि सीबीआई जांच में ये कॉलेज अपात्र पाए गए थे।
पहले भी दिए गए थे ऐसे निर्देश
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने पहले भी प्रदेशभर के नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता से जुड़ी फाइलें मंगवाई थीं और याचिकाकर्ता को उनकी समीक्षा के निर्देश दिए थे। इसके बाद जनहित याचिका की रिपोर्ट में कई ऐसे नर्सिंग कॉलेजों की पोल खुली थी, जो सिर्फ कागजों पर चल रहे थे। इसमें फर्जी फैकल्टी घोटाले का भी खुलासा हुआ था।
नर्सिंग घोटाले में हाईकोर्ट के तीन बड़े आदेश
- 30 दिन के अंदर अपात्र नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों को योग्य कॉलेजों में शिफ्ट किया जाए।
- जनहित याचिकाकर्ता को मान्यता और संबद्धता से जुड़ी मूल फाइलों की जांच कर रिपोर्ट देनी होगी।
- सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए कॉलेजों में नामांकित छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति नहीं होगी।
आदेश में बदलाव: अब सिर्फ दोषी पाए गए छात्र ही होंगे पात्र
हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन कॉलेजों में सीबीआई जांच के दौरान किसी भी छात्र का नामांकन नहीं पाया गया, वहां अब किसी भी छात्र का नामांकन और परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होगी। दरअसल, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि सीबीआई जांच के दौरान कई कॉलेजों ने यह स्वीकार किया कि उनके यहां कोई छात्र नामांकित नहीं था, जबकि कुछ कॉलेजों ने सीबीआई को प्रवेश से जुड़े दस्तावेज दिखाने से इनकार कर दिया। सीबीआई ने इस आधार पर हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि इन कॉलेजों में छात्रों का नामांकन ही नहीं हुआ था। इसके बावजूद हाईकोर्ट ने छात्रों के हित में पहले सभी श्रेणियों के कॉलेजों – पात्र, अपात्र और कमियों वाले कॉलेजों – के छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी थी। लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस आदेश में संशोधन किया है।
फर्जी कॉलेज कर रहे हैं पुराने तारीखों में प्रवेश का दावा
हाईकोर्ट ने पाया कि कई कॉलेज पुराने रिकॉर्ड दिखाकर छात्रों के नामांकन और परीक्षा आवेदन कर रहे हैं। कुछ कॉलेज, जो सीबीआई जांच में अस्तित्वहीन पाए गए थे, अब छात्रों को दाखिला देने की कोशिश कर रहे हैं। याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपने पिछले आदेश में संशोधन कर दिया है और नए निर्देश जारी किए हैं। अब सिर्फ सीबीआई की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कॉलेजों और छात्रों के प्रवेश को वैध माना जाएगा।
एक महीने में पूरी होगी पूरी प्रक्रिया
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में एक और आवेदन दायर कर कहा कि नर्सिंग काउंसिल द्वारा अपात्र ठहराए गए कॉलेजों के छात्रों को अब तक योग्य कॉलेजों में स्थानांतरित नहीं किया गया है, जिससे हजारों छात्रों का भविष्य संकट में पड़ गया है। इन अपात्र कॉलेजों में छात्रों की पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए जरूरी सुविधाएं ही नहीं हैं। इस पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिया है कि सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए कॉलेजों के छात्रों को एक महीने के अंदर योग्य कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाए।