
अगले साल 6.5% की दर से बढ़ सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था – EY रिपोर्ट
भारत की अर्थव्यवस्था 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में 6.5% की दर से बढ़ने की संभावना है। EY Economy Watch की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सरकार अपनी वित्तीय नीतियों को संतुलित रखते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाती है, तो इससे भारत की लंबी अवधि की आर्थिक वृद्धि को मजबूती मिलेगी।
आर्थिक वृद्धि का अनुमान और भविष्य की रणनीति
EY Economy Watch की मार्च रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान है, जबकि 2025-26 में यह बढ़कर 6.5% हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत को “विकसित भारत” (Viksit Bharat) के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वित्तीय नीतियों में बदलाव की जरूरत है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी संशोधित आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक भारत की जीडीपी वृद्धि दर क्रमशः 7.6%, 9.2% और 6.5% आंकी गई है।
वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी ग्रोथ कैसे होगी?
रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी तिमाही (Q3) में 6.2% वृद्धि का अनुमान है, लेकिन चौथी तिमाही (Q4) में 7.6% की वृद्धि जरूरी होगी ताकि पूरे साल की औसत वृद्धि 6.5% तक पहुंच सके। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चौथी तिमाही में 7.6% की वृद्धि तभी संभव है, जब निजी उपभोग व्यय (Private Final Consumption Expenditure) 9.9% की दर से बढ़े। ऐसा उछाल हाल के वर्षों में देखने को नहीं मिला है, इसलिए सरकार के लिए निवेश खर्च बढ़ाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) और सरकारी खर्च का प्रभाव
रिपोर्ट में कहा गया कि यदि सरकार ने अतिरिक्त अनुदान की मांग की, तो राजकोषीय घाटा प्रभावित हो सकता है। हालांकि, अगर जीडीपी का स्तर ऊंचा रहता है, तो यह अतिरिक्त खर्च को संतुलित करने में मदद कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाना जरूरी है, ताकि भारत लंबे समय तक विकास की राह पर बना रहे और मानव संसाधनों की गुणवत्ता में सुधार हो।
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च बढ़ाने की जरूरत
EY इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 20 वर्षों में भारत को अपनी शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च बढ़ाना होगा ताकि यह विकसित देशों के स्तर तक पहुंच सके।
- वित्त वर्ष 2048 तक शिक्षा पर सरकार का खर्च बढ़ाकर 6.5% करना होगा, जो अभी 4.6% है।
- सरकारी स्वास्थ्य व्यय 2021 में जीडीपी का 1.1% था, जो 2048 तक 3.8% तक बढ़ाने की जरूरत होगी।
विशेष रूप से, कम आय वाले राज्यों को शिक्षा और स्वास्थ्य में अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता होगी ताकि वे राष्ट्रीय औसत तक पहुंच सकें। इसके लिए फंड का सही वितरण (equalization transfers) जरूरी होगा।
सरकार को कैसे करनी चाहिए वित्तीय योजना?
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को अपनी राजस्व-से-जीडीपी अनुपात (Revenue-to-GDP Ratio) को धीरे-धीरे 21% से बढ़ाकर 29% करना चाहिए, ताकि सरकारी खर्च को संतुलित किया जा सके और वित्तीय अनुशासन बना रहे। EY इंडिया के चीफ पॉलिसी एडवाइजर डीके श्रीवास्तव के अनुसार, भारत की युवा आबादी और बढ़ती कार्यशील जनसंख्या (Working Age Population) आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा सकती है। अगर इन युवाओं को उचित रोजगार, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं, तो इससे एक सकारात्मक चक्र (Virtuous Cycle) बनेगा, जिससे विकास, रोजगार, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
राज्यों के बीच असमानता कम करने की जरूरत
EY Economy Watch ने यह भी बताया कि राज्यों के बीच आर्थिक असमानता को कम करने के लिए फंड के समान वितरण (Equalization Transfers) जरूरी होंगे। इससे कम आय वाले राज्यों को शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त संसाधन मिल सकेंगे।
निष्कर्ष
रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अपनी वित्तीय रणनीति इस तरह बनानी चाहिए कि विकास को बनाए रखते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश को प्राथमिकता दी जाए। एक संतुलित नीति से भारत की लंबी अवधि की आर्थिक वृद्धि मजबूत हो सकती है।