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Apple 2026 तक भारत में बनाएगा अमेरिका के लिए सारे iPhone: रिपोर्ट

ऐप्पल का प्लान है कि 2026 के आखिर तक अमेरिका में बिकने वाले सारे आईफोन भारत में बनाए जाएं। फाइनेंशियल टाइम्स और ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी का ये बड़ा कदम भारत में हर साल बनने वाले आईफोन की संख्या को दोगुना कर 80 मिलियन से ज्यादा कर देगा। टेक्नोलॉजी की दुनिया की ये दिग्गज कंपनी चीन पर निर्भरता कम करने और टैक्स का दबाव झेलने के लिए प्रोडक्शन फैलाने की कोशिश कर रही है। ये कदम ऐसे वक्त में उठाया जा रहा है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी सीधे तौर पर चीन से होने वाले एक्सपोर्ट्स पर निशाना साध रही है। ट्रंप के टैरिफ वाले ऐलान के बाद एप्पल के बाजार मूल्य में करीब 700 अरब डॉलर की गिरावट आई थी। इसके बाद कंपनी ने फौरन भारत में बने आईफोन्स को अमेरिका भेजना शुरू कर दिया ताकि चीन में बने सामान पर लगने वाले भारी टैक्स से बचा जा सके।

फिलहाल, एप्पल हर साल भारत में 40 मिलियन से ज्यादा आईफोन्स असेंबल करता है, और पिछले साल इसमें करीब 60% का इजाफा हुआ था। अमेरिका का बाजार एप्पल के कुल आईफोन शिपमेंट का करीब 28% हिस्सा है, यानी हर साल 60 मिलियन से ज्यादा डिवाइसेज। भले ही ट्रंप सरकार ने हाल ही में स्मार्टफोन्स को ‘रेसिप्रोकल’ टैरिफ से छूट दी है, लेकिन फिर भी चीन से आने वाले सामान पर 20% का अलग से टैक्स अभी भी लागू है।

भारत में आईफोन बनाने का दायरा बढ़ाने में एप्पल की मदद उसके कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर फॉक्सकॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स कर रहे हैं। भारत में जो ज्यादातर आईफोन बनते हैं, उन्हें फॉक्सकॉन की साउथ इंडिया वाली फैक्ट्री में असेंबल किया जाता है। वहीं, टाटा ग्रुप की इलेक्ट्रॉनिक्स यूनिट ने विस्ट्रॉन कॉर्प का लोकल बिजनेस खरीदा है और वो अब भारत में पेगाट्रॉन कॉर्प के ऑपरेशंस भी संभाल रही है, जिससे वो भी एक बड़ा सप्लायर बन गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि मार्च 2025 को खत्म होने वाले फाइनेंशियल ईयर में एप्पल ने भारत से करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये (करीब 17.5 अरब डॉलर) के आईफोन्स एक्सपोर्ट किए हैं। इससे साफ हो रहा है कि एप्पल के ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की अहमियत कितनी तेजी से बढ़ रही है। हालांकि इतने बड़े प्लान के बावजूद एप्पल के सामने कई बड़ी चुनौतियां भी हैं। असेंबली तो आईफोन बनाने का आखिरी स्टेप होता है, लेकिन कंपोनेंट्स के लिए कंपनी अब भी काफी हद तक चीन पर निर्भर है। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस का कहना है कि अगर एप्पल अपनी प्रोडक्शन का सिर्फ 10% हिस्सा भी चीन से बाहर शिफ्ट करना चाहे तो इसमें करीब आठ साल लग सकते हैं। कंपनी से उम्मीद की जा रही है कि जब वो अगले हफ्ते अपनी तिमाही कमाई के नतीजे जारी करेगी, तब वो अपनी मैन्युफैक्चरिंग स्ट्रैटेजी और टैरिफ के असर पर भी जवाब देगी।

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