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चिप निर्माण को सरकार और उद्योग से अधिक ध्यान देने की जरूरत

कर्नाटक की सेमीकंडक्टर उपकरण निर्माता कंपनी KASFAB Tools, जो KAS Group का हिस्सा है, ने हाल ही में बेंगलुरु ग्रामीण में अपनी नई और अत्याधुनिक फैक्ट्री शुरू की है। कंपनी की नजर 110 अरब डॉलर के इस बड़े बाजार में अपनी पकड़ बनाने पर है। हालांकि इस सेक्टर में वेंचर कैपिटलिस्ट्स (VCs) ने दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन सरकार की तरफ से अब तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मंजीनाथ ज्योतिनगर ने DH से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने बताया, “क्योंकि सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं रही और न ही इसे ठीक से समझा गया, इसलिए खुद इंडस्ट्री ने भी अब तक इस बड़े मौके को नहीं पहचाना है।” हालांकि, हाल ही में पेश किए गए बजट में सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए क्रेडिट गारंटी बढ़ाने और कई नई योजनाएं लाने का ऐलान किया, लेकिन ज्योतिनगर का मानना है कि सेमीकंडक्टर निर्माण सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को इन सभी कंपनियों को एक मंच पर लाना जरूरी है।

उन्होंने कहा, “जरूरत इस बात की है कि सभी कंपनियां एक ऐसे प्लेटफॉर्म पर आएं, जहां वे ग्राहकों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा कर सकें। लेकिन इसके लिए सरकार की ओर से खास पहल होनी चाहिए, क्योंकि छोटे-छोटे बिखरे हुए प्लेयर्स यह काम खुद नहीं कर सकते। दूसरे देशों में सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है, जिससे MSME कंपनियों और ग्राहकों के बीच तालमेल बैठाया जा सके।” हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्लोबल सेमीकंडक्टर निर्माण उपकरण बाजार फिलहाल 105-110 अरब डॉलर का है और 2032 तक यह 250-270 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह उद्योग हर साल 8-10% की दर से बढ़ रहा है, क्योंकि अलग-अलग सेक्टर्स में उन्नत सेमीकंडक्टर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। KASFAB Tools ने अपनी पहली फैक्ट्री के लिए 20 करोड़ रुपये का निवेश किया है। लेकिन अगले 3 से 6 महीनों में होने वाले दूसरे विस्तार के लिए कंपनी 250 करोड़ रुपये लगाने की तैयारी कर रही है। फिलहाल, कंपनी वित्त वर्ष 2025-26 में 50 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, लेकिन अगले 3-5 सालों में यह आंकड़ा 2,500 करोड़ रुपये तक ले जाने की योजना है, खासकर विदेशी बाजारों से मिलने वाली मांग को देखते हुए।

“सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि शुरुआती कॉन्ट्रैक्ट्स कैसे होते हैं और हमारे उपकरणों को कितना अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है। अगर यह सही दिशा में जाता है, तो हम तेजी से आगे बढ़ेंगे,” ज्योतिनगर ने कहा। उन्होंने इस सेक्टर से जुड़ी एक और बड़ी चुनौती का जिक्र करते हुए बताया कि भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण को लेकर अब भी सही धारणा नहीं बनी है। कई बड़ी कंपनियों के बैक-एंड इंजीनियरिंग सेंटर भारत में हैं, लेकिन असल निर्माण विदेशों में किया जाता है। “हमारे पास काबिलियत की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत इस बात की है कि हमारी सभी क्षमताओं को एक साथ लाकर एक फाइनल प्रोडक्ट तैयार किया जाए। इसके लिए हमें अनुशासन के साथ काम करना होगा। यह सिर्फ वक्त की बात है,” उन्होंने कहा।

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