मध्य प्रदेश
Trending

बिजली के बढ़े दामों के बाद अब ब्याज में कटौती से उपभोक्ता परेशान

जबलपुर: मध्य प्रदेश की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने एक तरफ जहां बिजली के रेट बढ़ा दिए हैं, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को हर महीने मिलने वाले बिल में जमा की गई सुरक्षा राशि पर मिलने वाला ब्याज घटा दिया है। पहले जहां इस पर 6.75 फीसदी ब्याज मिलता था, अब इसे घटाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया है। क्यों कम हुआ ब्याज? हर साल के नए वित्तीय साल की शुरुआत में बिजली कंपनी उस समय की बैंक दर को देखते हुए उपभोक्ताओं की जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज की नई दर तय करती है। इस बार भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में बैंक दर को संशोधित करके 6.50 फीसदी कर दिया है। इसी के आधार पर पूर्व क्षेत्र विद्युत कंपनी ने 1 अप्रैल 2025 से उपभोक्ताओं को सुरक्षा राशि पर 6.50 प्रतिशत ब्याज देने का सर्कुलर जारी किया है। अगर किसी उपभोक्ता को मिलने वाला ब्याज साल भर में 10 हजार रुपये से ज्यादा होता है, तो इनकम टैक्स के नियमों के तहत 10% TDS काटा जाएगा। वहीं, अगर उपभोक्ता ने पैन नंबर नहीं दिया है या फिर उसका पैन आधार से लिंक नहीं है, तो TDS की कटौती 20 फीसदी की दर से होगी।

पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनी में भी आए बदलाव इंदौर से जुड़ी एक और खबर है कि वहां की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सतर्कता (विजिलेंस) विभाग के बाहर अब माहौल पहले जैसा नहीं रहा। पहले जहां बिजली चोरी या जुर्माने को लेकर विजिलेंस दफ्तर के बाहर उपभोक्ताओं की भीड़ और दलालों की मौजूदगी आम थी, अब वैसा कुछ नहीं दिखता। जब ‘नईदुनिया’ की टीम वहां पहुंची, तो विजिलेंस दफ्तर का माहौल काफी शांत था। न तो कोई उपभोक्ता किसी अधिकारी से चालान कम करवाने के लिए बैठा था, न ही कोई दलाल अंदर फाइल लेकर चक्कर काटता नजर आया। सख्ती से बदली तस्वीर बिजली कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी कामेश श्रीवास्तव ने बताया कि बाहरी लोगों की दखलअंदाजी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। उनके मुताबिक विभाग के पास करीब 60 से 70 हजार केस अभी भी लंबित हैं, जिनमें से 1 लाख रुपये या उससे कम जुर्माने वाले केस लगभग 50 हजार हैं। पहले हर केस की सुनवाई के लिए उपभोक्ताओं को इंदौर आना पड़ता था, लेकिन जनवरी से नियम बदल दिए गए हैं। अब एक लाख रुपये तक के बिजली चोरी और गड़बड़ी वाले मामलों की सुनवाई और निपटारा संबंधित जिले के ही कार्यपालन यंत्री (एक्जीक्यूटिव इंजीनियर) करेंगे। इससे अब उपभोक्ताओं को इंदौर नहीं आना पड़ेगा और स्थानीय स्तर पर ही उनका मामला सुलझ सकेगा।

Related Articles

Back to top button