
इंदौर: नगर निगम हर साल चैंबरों की मरम्मत और देखरेख के नाम पर करीब 22 करोड़ रुपये खर्च करता है, लेकिन हालत फिर भी जस की तस है। कहीं चैंबर के ढक्कन टूटे-फूटे पड़े हैं तो कहीं उन्हें इतनी ऊंचाई पर बना दिया गया है कि हर रोज़ किसी न किसी को परेशानी होती है। हाल ही में एक महिला की जान जाने के बाद अब नगर निगम पूरे शहर में बने चैंबरों का ऑडिट कराने की बात कर रहा है। मामला ये है कि अब ये जांच होगी कि जिन एजेंसियों को इन चैंबरों की देखरेख का ज़िम्मा दिया गया है, क्या वो वाकई अपना काम ठीक से कर रही हैं या नहीं। सवाल ये भी है कि जब हर साल करोड़ों रुपये रखरखाव के नाम पर खर्च हो रहे थे, तो नगर निगम ने अब तक इन एजेंसियों के काम पर नज़र रखने की कोई ठोस व्यवस्था क्यों नहीं बनाई।
हादसे के बाद जागा निगम, सुधार का अभियान शुरू
शनिवार को सेंट पॉल स्कूल के पास हुए एक सड़क हादसे में महिला की मौत के बाद अब निगम ने चैंबर सुधारने का काम शुरू किया है। महिला अपने पति के साथ बाइक पर जा रही थी। अचानक सड़क पर एक चैंबर का हिस्सा सामने आ गया, जिसमें बाइक का पहिया फंस गया और महिला गिरकर ज़मीन पर जा गिरी। उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस हादसे ने एक बार फिर ये दिखा दिया कि शहर के चैंबर कितने खतरनाक हालात में हैं। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि हर वार्ड और ज़ोन के हिसाब से एजेंसियां तय की गई हैं जो चैंबरों की देखभाल करती हैं। अगर कोई शिकायत आती है तो वो उसे ठीक करती हैं। लेकिन जब ‘नईदुनिया’ की टीम ने रविवार को खुद सड़कों पर उतरकर हकीकत देखी, तो सामने आया कि सैकड़ों चैंबर बेहद खराब हाल में हैं। न तो कोई जनप्रतिनिधि इनकी सुध ले रहा है और न ही एजेंसियां ही अपना काम ईमानदारी से कर रही हैं।
नए चैंबर भी बनते ही बिगड़ गए कुछ जगहों पर तो हाल ही में बने चैंबरों की हालत देखकर टीम भी हैरान रह गई। सड़क की सतह से करीब छह इंच ऊपर उठे ये चैंबर रोज़ाना हादसों की वजह बन रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब ये चैंबर बनाए जा रहे थे, तब भी उन्होंने इसकी ऊंचाई को लेकर आपत्ति जताई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब लोग मजबूरी में अपने घरों के बाहर सीमेंट डालकर सड़क और चैंबर के बीच का अंतर कम करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि हादसे टाले जा सकें।