
मध्य प्रदेश में बड़ा बीयर घोटाला: एक्सपायरी बीयर बाजार में बेची, नष्ट करने का दिखाया रिकॉर्ड
भोपाल। एक्सपायरी हो चुकी बीयर को नष्ट करने के बजाय मध्य प्रदेश में बेचने का बड़ा मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ से लौटाई गई सोम कंपनी की करीब 13 करोड़ रुपये की बीयर को बाजार में खपा दिया गया, जबकि आबकारी विभाग ने कागजों में इसे नष्ट करना दिखा दिया।
कैसे हुआ घोटाला?
मध्य प्रदेश से सोम कंपनी की हंटर ब्रांड बीयर के 50 ट्रक छत्तीसगढ़ भेजे गए थे। लेकिन एक्सपायरी डेट के चलते सितंबर 2024 में वहां से 55,090 पेटियां वापस लौटा दी गईं। चौंकाने वाली बात यह है कि आबकारी विभाग से इसकी अनुमति भी नहीं ली गई और चोरी-छिपे इन पेटियों को प्रदेश की शराब दुकानों पर बेच दिया गया। घोटाले को छिपाने के लिए आबकारी विभाग ने 21 जनवरी 2025 को प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि रायसेन जिले में यह पूरी बीयर नष्ट कर दी गई। लेकिन सवाल उठता है कि एक ही दिन में इतनी बड़ी मात्रा में बीयर नष्ट करना कैसे संभव हो सकता है?
घोटाले पर उठ रहे सवाल
जब इस मामले की जानकारी आबकारी आयुक्त को मिली, तो उन्होंने रायसेन के प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी को सितंबर 2024 में नोटिस जारी किया। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा, कई सवाल ऐसे भी हैं जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं:
- एक्सपोर्ट की गई बीयर को वापस लाने की कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है, फिर इसे किसके आदेश पर वापस लाया गया?
- अगर इसे कानूनी रूप से नहीं लाया गया, तो क्या यह तस्करी करके लाई गई?
- इतनी बड़ी मात्रा में बीयर बिना मंजूरी के डिस्टलरी के अंदर कैसे पहुंची?
- परिवहन का खर्च किसने उठाया और किन गाड़ियों का इस्तेमाल हुआ?
बीयर की कीमत को भी किया कम दिखाने का खेल
आबकारी विभाग ने प्रेस नोट में बताया कि नष्ट की गई बीयर की कीमत 4.20 करोड़ रुपये है, जबकि असली कीमत 13.22 करोड़ रुपये से अधिक थी। हंटर ब्रांड की बीयर की मार्केट वैल्यू 220 रुपये प्रति बोतल थी। अगर औसतन 200 रुपये भी माने जाएं, तो कुल 55,090 पेटियों की कीमत 13 करोड़ से ज्यादा बैठती है। लेकिन विभाग ने इसे आधे से भी कम बताकर गड़बड़ी को छिपाने की कोशिश की।
आबकारी आयुक्त पर भी सवाल
इस घोटाले को लेकर आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। वे बिना अनुमति छत्तीसगढ़ से शराब लाने के मामले में रायसेन के अधिकारी को नोटिस जारी करने की बात तो कह रहे हैं, लेकिन बीयर के नष्टीकरण पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
मुख्य सचिव तक पहुंचा मामला
यह मामला अब मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन के संज्ञान में भी आ चुका है। सूत्रों की मानें तो इस पूरे घोटाले में आबकारी आयुक्त की भूमिका की जांच के लिए जल्द ही नोटिस जारी किया जा सकता है। इस मामले में रायसेन कलेक्टर अरुण विश्वकर्मा से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं, रायसेन की सहायक आबकारी उपायुक्त वंदना पांडे ने कहा कि वह बिना आयुक्त की अनुमति के मीडिया से बात नहीं करेंगी।