
इटारसी में भीषण आग, तीन घर खाक, दिव्यांग बुजुर्ग की दर्दनाक मौत
इटारसी: शनिवार और रविवार की दरमियानी रात शहर के नेहरूगंज इलाके में अचानक भीषण आग लग गई। आग की चपेट में तीन घर आ गए, जिससे वहां रहने वाले परिवारों की पूरी गृहस्थी जलकर राख हो गई। इस हादसे में एक दिव्यांग बुजुर्ग की दर्दनाक मौत हो गई, जो घर के अंदर सो रहे थे और आग में फंस गए।
दमकल की 20 गाड़ियां पहुंची, लेकिन नहीं बच पाई जान
आग इतनी भयानक थी कि उसे बुझाने के लिए इटारसी, आयुध निर्माणी और नर्मदापुरम से कुल 20 दमकल गाड़ियां बुलानी पड़ीं। जानकारी के मुताबिक, नेहरूगंज इलाके में खपरैल मकान में रहने वाले दिव्यांग राजेंद्र सिंह राजपूत के घर में सबसे पहले आग लगी। आग ने तेजी से आसपास के दो और मकानों को अपनी चपेट में ले लिया।
रात 3 बजे भड़की आग, बचाव के लिए नहीं मिला वक्त
रात करीब 3 बजे जब आग भड़की, तब लोग गहरी नींद में थे। पुलिस को सूचना मिलते ही पहले इटारसी से दमकल बुलाई गई, लेकिन आग बेकाबू होती देख नर्मदापुरम और आयुध निर्माणी से भी फायर ब्रिगेड को बुलाना पड़ा। मकान लकड़ी और कच्चे सामान से बना था, इसलिए आग तेजी से फैल गई।
बेटी की आंखों के सामने जिंदा जल गए पिता
राजेंद्र सिंह की बेटी नंदिनी ने बताया कि जब आग उनके पिता के कमरे में लगी, तब वे गहरी नींद में थे। आग इतनी तेजी से फैली कि वे बाहर नहीं निकल सके और लपटों में घिर गए। जब तक बचाव दल कुछ कर पाता, तब तक वे जिंदा जल चुके थे।
दो और घर भी जलकर खाक, बालाजी मंदिर समिति की संपत्ति थी जमीन
इस हादसे में राजेंद्र सिंह के पड़ोसी वकील रवि सावदकर और अजय गंगराड़े के मकान भी जलकर राख हो गए। थाना प्रभारी गौरव सिंह बुंदेला के मुताबिक, ये मकान बालाजी मंदिर समिति की संपत्ति थे और इन्हें खाली करने को लेकर पहले से विवाद चल रहा था। पुलिस अब इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं आगजनी की घटना इसी विवाद से तो नहीं जुड़ी हुई।
सुबह मिला जला हुआ शव, पुलिस कर रही जांच
आग बुझाने के बाद जब मलबा हटाया गया, तब पुलिस को राजेंद्र सिंह राजपूत का शव मिला। हादसे के कारणों की जांच जारी है, लेकिन यह साफ है कि इस भीषण आग ने तीन परिवारों की जिंदगी पूरी तरह बदल दी।