राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना के सफल संचालन ने ग्रामीणों के लिए आय के द्वार खोल दिये हैं। यह योजना ग्रामीणों, पशुपालकों एवं महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गोधन न्याय योजना ने बालोद जिले के ग्राम बरही में संचालित ग्वाली महिला स्व-सहायता समूहों के लिए भी आय का स्थायी द्वार खोल दिया है। इस योजना के तहत समूह की महिलाओं ने बरही गौठान में अब तक 1300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया है। अब तक इन महिलाओं ने 20 लाख रुपये की शुद्ध आय अर्जित की है। प्रति सदस्य 1007 सेंट वर्मीकम्पोस्ट बेचकर 47 हजार 272 रु. 05 लाख 20 हजार. गांव में ही रोजगार मिलने की योजना से महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना हानिकारक रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ कृषि भूमि की उर्वरता बनाए रखने में भी काफी मददगार साबित हो रही है। यह ग्रामीणों और समूह की महिलाओं के लिए स्थाई रोजगार का जरिया बन गया। आदर्श गौठान बरही में विभिन्न प्रकार की आजीविका संबंधी गतिविधियां संचालित की जाती हैं। इनमें से ग्वालिन स्व-सहायता समूह की 11 महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन करती हैं। महिलाओं की निरंतर आय की बदौलत यहां उनके जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है।
समूह की सक्रिय सदस्य केनवारा बाई ने योजना की सराहना करते हुए कहा कि पहले उन्हें रोजगार की तलाश में आसपास के गाँवों में जाना पड़ता था। कड़ी मेहनत के बाद भी ज्यादा आमदनी नहीं हो रही थी. गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदकर उन्हें स्थाई नौकरी मिल गई और वे वर्मी कम्पोस्ट बनाने लगे। इसकी बदौलत उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया. उन्हें बताया गया कि वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम शुरू होने से महिलाओं के पास रोजगार और आय का बेहतरीन जरिया है। उनका पारिवारिक जीवन सुखमय हो गया। वे अपनी आय का उपयोग अपने बच्चों की शिक्षा और अन्य घरेलू कामों के लिए करते हैं। उन्होंने समूह की सहयोगी श्रीमती शारदा यादव को उनके नये मकान के निर्माण के लिये 35 हजार रूपये का सहयोग भी दिया। इस प्रकार यह योजना सभी लोगों के जीवन को सजाने और संवारने का काम करती है। समूह के सभी सदस्यों ने गोधन न्याय योजना की सराहना की। उन्होंने इस योजना से अपना जीवन खुशहाल होने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार भी व्यक्त किया।