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गोबर पेंट बेचने वाले ग्रुप ने 3 महीने में एक लाख 27 हजार रुपए से ज्यादा की कमाई, 1000 लीटर का मिला ऑर्डर….

गौठान को ग्रामीण इंडस्ट्रियल पार्क रीपा बनाने की छत्तीसगढ़ सरकार की संकल्पना शुरू हुई है और इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं। दूसरे राज्यों में काम की तलाश में जाने वाली महिलाएं अब गाँव के गोठान में रंग-बिरंगी आर्थिक लाभ अर्जित कर रही हैं। रीपा के तहत गांव की महिलाएं गाय के गोबर से पेंट करती हैं, मैं महात्मा गांधी के आत्मनिर्भर गांव के सपने को साकार कर रही हूं। सटीक गाय के गोबर का रंग काफी उच्च श्रेणी का है, जो बहुराष्ट्रीय प्राधिकरण को सीधी टक्कर दे रहा है। इसी तरह बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के पलारी विकासखंड के गिर्रा गांव में जय मां लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गाय के गोबर से उच्च गुणवत्ता का पेंट बना रही हैं। 3 माह पूर्व शुरू हुई इकाई से कुल 1915 लीटर गोबर का पेंट तैयार किया गया है। जिसमें से 670 लीटर पेंट की बिक्री हो चुकी है। जिससे ग्रुप को अब तक एक लाख 27 हजार 240 रुपये की आय हो चुकी है। जय मां लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष दामिनी वर्मा ने बताया कि हमारे समूह में कुल 10 महिलाएं हैं। साथ ही गाय के गोबर के पेंट के निर्माण कार्य में सहयोग के लिए एक व्यक्ति को लिया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि पिछले 5 साल से हम वीकली मर्जी ग्रुप में लेन-देन का काम कर रहे थे। हम सभी ग्रुप में बंधन से संबंधित कोई कार्य करने की सोच रहे थे तभी हमें महात्मा गांधी ग्रामीण इंडस्ट्रियल पार्क द्वारा गोबर पेंट निर्माण कार्य की जानकारी हुई। फिर अचानक यह सुनकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। लेकिन विस्तृत जानकारी मिलने के बाद हम इस काम को करने के लिए तैयार हो गए। क्योंकि इस काम को करने के लिए हमें शासन स्तर से पेंट उत्पादन के लिए सर्वर और रॉ माल को नुकसान पहुंचाया गया था। उसके बाद मैंने काम करना शुरू किया, इसके लिए शुरुआत में जनपद पंचायत द्वारा हमें 7 दिन का प्रशिक्षण दिया गया। अभी हमारे पास रूरल मैकेनिक्स से 1000 लीटर गाय के गोबर के पेंट का नंबर है। यह सेवा विभाग द्वारा प्राप्त किया गया है। ज्ञात हो कि गोबर पेंट के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए सभी सरकारी संभावनाओं को इस पेंट से रंगने के निर्देश दिए गए हैं। लोक निर्माण विभाग ने इसके लिए संबद्धता भी जारी कर दी है। वहीं जिलाधिकारी चंदन कुमार की ओर से अलग से आदेश भी जारी किया गया है।

गाय के गोबर से बना पेंट प्रकृति के अनुकूल है
अभी तक पेंट किए गए निर्माण को बहुराष्ट्रीय प्राधिकरण का ही कार्यक्षेत्र माना जा रहा है। लेकिन अब छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाएं भी इस क्षेत्र में उभरे हुए कदम रखती हैं। गाय के गोबर से बनने वाला प्राकृतिक रंग ठीक वैसा ही होता है जैसा कि बहुराष्ट्रीय संगठनों द्वारा तैयार किया गया रंग होता है। इसकी विशेषता उच्च होती है, यह पेंट एंटी बैक्टीरिया और एंटीफंगल भी होता है। उक्त गाय के गोबर के पेंट की बिक्री सी-मार्ट के माध्यम से की जा रही है। साथ ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में बेचने की तैयारी की जा रही है। यह किसी मल्टीनेशनल कंपनी का पेंट 30 से 40 सेंट का है और पर्यावरण के अनुकूल भी है। गोबर के इस पेंट की कीमत बाजार में मिलने वाले प्रीमियम क्वालिटी के पेंट से 30 से 40 फीसदी कम है। इमल्शन पेंट की कीमत 225 रुपये प्रति लीटर है। इसका 1, 2, 4 और 10 लीटर के पैकेज में प्रोडक्शन किया जा रहा है।
पेंट से कई तरह के उत्पाद बनाए जाएंगे।


इस योजना से गांवों के लोगों को रोजगार के साथ-साथ नौकरी के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं। ग्राम गिर्रा के गौठान में गड़बड़ी, पेंट के साथ ही अन्य कई प्रकार के रोजगार मूल कार्य भी तेजी से हो रहे हैं। जैसे वर्मी कम्पोस्ट, लोहे के तार, बाड़े के जाल, मुर्गे के पालने और फव्वारे के पानी, आदि की पैकिंग का काम भी चल रहा है।

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