
भोपाल। अगर आप गुटखा या तंबाकू खाते हैं और आपका मुंह ठीक से नहीं खुल पा रहा है, तो यह मुंह के कैंसर की शुरुआती निशानी हो सकती है। तंबाकू और गुटखे की लत के कारण जबड़े की हड्डियां सख्त हो जाती हैं, जिससे मुंह खोलने में दिक्कत आने लगती है। यह समस्या धीरे-धीरे कैंसर का रूप भी ले सकती है। हमीदिया अस्पताल के ओरल कैंसर स्क्रीनिंग सेंटर की एक साल की रिपोर्ट में यह चिंताजनक तथ्य सामने आया है।
574 मरीजों की जांच, 75% में मिला मुंह न खुलने का लक्षण
हमीदिया अस्पताल के डेंटल विभाग में बीते एक साल में 574 मरीजों की जांच हुई, जिनमें से 75% मरीजों में मुंह का कम खुलना पाया गया, जो कि कैंसर की शुरुआती स्टेज का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, लंबे समय तक मुंह में छाले बने रहना भी कैंसर का एक बड़ा लक्षण पाया गया। डेंटिस्ट्री विभाग के प्रमुख डॉ. अनुज भार्गव का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति के मुंह में छाले छह महीने तक ठीक न हों, तो इसे हल्के में न लें। यह एक गंभीर संकेत हो सकता है और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय रहते इलाज न मिलने पर यह प्री-कैंसर की स्थिति में बदल सकता है।हमीदिया अस्पताल का ओरल ऑन्कोलॉजी सेंटर, जो एक साल पहले शुरू हुआ था, मध्य प्रदेश का पहला सरकारी केंद्र है, जहां सिर्फ मुंह के कैंसर और उससे जुड़ी बीमारियों की जांच और इलाज किया जाता है।
मुंह में सबसे ज्यादा तीन तरह के कैंसर पाए जाते हैं
गाल और मसूड़ों का कैंसर – गुटखा खाने वाले लोग इसे गाल और मसूड़ों के बीच दबाकर रखते हैं, जिससे वहां कैंसर हो सकता है। 90% मामलों में यही कारण पाया गया।
जीभ का कैंसर – सुपारी खाने से दांत नुकीले हो जाते हैं, जो जीभ को बार-बार काटते रहते हैं। इससे धीरे-धीरे घाव बनते हैं और कैंसर हो सकता है। यह 7-8% मामलों में पाया गया।
तालू का कैंसर – बीड़ी को उल्टा पीने या ज्यादा गर्म चीजें खाने से तालू जल जाता है, जो बाद में कैंसर का रूप ले सकता है।
प्री-कैंसर के लक्षण
मुंह का सामान्य से कम खुलना
तीखा या गर्म खाना खाने में दिक्कत
मुंह में लगातार जलन रहना
अधिक लार बनना
भोपाल में सबसे ज्यादा मरीज
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक भोपाल में 70% लोग गुटखा या तंबाकू का सेवन करते हैं, जिससे यहां ओरल कैंसर के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है।