
इमरजेंसी फंड क्यों जरूरी है और कैसे बनाएं?
कोई भी आपातकाल पहले से बताकर नहीं आता। किसी भी वक्त ऐसी स्थिति आ सकती है जब अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाए। ऐसे में हमें पहले से तैयार रहना बहुत जरूरी है, ताकि वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े। इसके लिए एक मजबूत इमरजेंसी फंड बनाना बेहद जरूरी है।
कैसे बनाएं इमरजेंसी फंड?
इमरजेंसी फंड तैयार करने के लिए सबसे पहले सेविंग करना अनिवार्य है। अगर आप भी भविष्य में किसी आर्थिक परेशानी से बचना चाहते हैं, तो इन आसान स्टेप्स को अपनाएं:
- आय और खर्च का बजट बनाएं – सबसे पहले अपनी मासिक आय और खर्चों का सही आंकलन करें। इससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि हर महीने कितना पैसा बचाया जा सकता है।
- बचत का एक हिस्सा अलग रखें – हर महीने की बचत में से एक हिस्सा इमरजेंसी फंड के लिए जरूर रखें।
- सही जगह निवेश करें – यह फंड ऐसी जगह रखें जहां जरूरत पड़ने पर आसानी से निकाला जा सके। फिक्स्ड डिपॉजिट, लिक्विड म्यूचुअल फंड या सेविंग अकाउंट अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
कितना इमरजेंसी फंड जरूरी है?
इमरजेंसी फंड का आकार आपकी आय और खर्चों पर निर्भर करता है। सामान्यतः वित्तीय विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि व्यक्ति के पास कम से कम 3 से 6 महीने के खर्च के बराबर राशि इमरजेंसी फंड में होनी चाहिए।
उदाहरण:
- यदि आपका मासिक खर्च 30,000 रुपये है, तो आपको कम से कम 90,000 रुपये इमरजेंसी फंड में रखना चाहिए।
- अगर आपकी सैलरी 50,000 रुपये है और आप हर महीने 20,000 रुपये खर्च करते हैं, तो कम से कम 60,000 रुपये इमरजेंसी के लिए जरूर बचाएं।
इसे सरल शब्दों में समझें तो:
इमरजेंसी फंड = 1 महीने का खर्च × 3 या 1 महीने का खर्च × 6
इमरजेंसी फंड क्यों जरूरी है?
भविष्य में किसी भी तरह की वित्तीय परेशानी से बचने के लिए इमरजेंसी फंड रखना जरूरी है। यह आपको बेरोजगारी, मेडिकल इमरजेंसी या किसी अन्य आकस्मिक खर्च के समय आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। छोटी रकम से भी इमरजेंसी फंड बनाना शुरू किया जा सकता है। महत्वपूर्ण यह है कि आप अपनी सैलरी का एक हिस्सा हर महीने इस फंड में डालें, ताकि जरूरत पड़ने पर आपको किसी से उधार लेने की नौबत न आए।