“13 साल के मेघ की दिल दहला देने वाली मौत: समय पर इलाज मिला होता, तो आज जिंदा होता बेटा”

गुजरात आश्रम में छात्र की मौत: लापरवाही या हत्या?
एक 13 साल के बच्चे की दर्दनाक मौत ने गुजरात के एक आश्रम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मध्य प्रदेश के रहने वाले मेघ शाह की नवसारी जिले के तपोवन आश्रम में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। लेकिन क्या यह सिर्फ़ एक दुर्घटना थी, या फिर कहीं कोई और सच्चाई छिपी है?
रात भर दर्द में तड़पा मेघ
मेघ को रात में सीने में तेज दर्द हुआ। उसने आश्रम के सहायक हर्षद राठवा को इसकी जानकारी दी, लेकिन राठवा ने उसकी मदद करने में देरी की। उसने न तो डॉक्टर को बुलाया और न ही मेघ को अस्पताल ले गया। सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि राठवा मेघ को गोद में लेकर उसे दिलासा देता रहा, लेकिन उसे अस्पताल नहीं ले गया। यह लापरवाही जानलेवा साबित हुई।
अस्पताल पहुँचने से पहले ही मौत
सुबह मेघ की हालत बिगड़ने पर उसे एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। एक छोटी सी लापरवाही ने एक बच्चे की जान ले ली। क्या आश्रम की व्यवस्था में कोई कमी थी जिसकी वजह से ये हुआ?
आश्रम प्रशासन ने किया सहायक को निलंबित
इस घटना के बाद आश्रम प्रशासन ने आरोपी सहायक हर्षद राठवा को निलंबित कर दिया है। लेकिन मेघ के परिवार का कहना है कि सिर्फ़ निलंबन से काम नहीं चलेगा। उनका मानना है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हो।
परिवार का आरोप: जानबूझकर की गई अनदेखी
मेघ के माता-पिता सदमे में हैं। उनका कहना है कि यह लापरवाही नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई अनदेखी थी। उन्होंने पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। क्या इस मामले में न्याय मिलेगा? क्या मेघ की मौत बेवजह हुई? ये सवाल अब भी कायम हैं।



