
भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर 10वें दौर की बातचीत शुरू, किन मुद्दों पर बन रही सहमति?
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के 27 देशों के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर 10वें दौर की बातचीत सोमवार से ब्रसेल्स में शुरू हो रही है। इस बातचीत का मकसद बाकी बचे मुद्दों को हल कर साल के अंत तक इस समझौते को अंतिम रूप देना है। हाल ही में यूरोपीय संघ के व्यापार और आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफ़कोविच की भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने इस समझौते को गति देने और इसे संतुलित तथा पारस्परिक रूप से फायदेमंद बनाने पर चर्चा की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन भी इस साल के अंत तक इस समझौते को पूरा करने पर सहमत हुए हैं।
किन मुद्दों पर हो रही है बातचीत?
भारत और ईयू के बीच 2013 से रुका हुआ यह समझौता जून 2022 में दोबारा शुरू हुआ था। हालांकि, इसमें कई अहम मुद्दों पर सहमति बनना अभी बाकी है। प्रमुख विवादित मुद्दों में कृषि उत्पादों पर शुल्क, खासकर डेयरी और वाइन पर आयात शुल्क, ऑटोमोबाइल टैक्स और श्रम कानून जैसी शर्तें शामिल हैं।
1. कृषि उत्पादों पर शुल्क
ईयू चाहता है कि भारत अपने डेयरी उत्पादों जैसे चीज़ और स्किम्ड मिल्क पाउडर पर शुल्क कम करे, लेकिन भारत अपने डेयरी उद्योग को बचाने के लिए ऊंचे टैरिफ को बनाए रखना चाहता है। इसके अलावा, ईयू के जटिल कृषि शुल्क ढांचे और सख्त मानकों के कारण भारतीय कृषि उत्पादों को यूरोपीय बाजार में पहुंचने में दिक्कतें आती हैं।
2. वाइन पर आयात शुल्क
यूरोपीय वाइन निर्माता चाहते हैं कि भारत 150% के मौजूदा आयात शुल्क को घटाकर 30-40% तक करे। भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए व्यापार समझौते की तरह यहां भी चरणबद्ध तरीके से शुल्क में कटौती का विकल्प तलाश सकता है।
3. ऑटोमोबाइल टैक्स
ईयू चाहता है कि भारत पूरी तरह से निर्मित (CBU) यूरोपीय कारों पर आयात शुल्क 100-125% से घटाकर 10-20% करे। इससे BMW, मर्सिडीज-बेंज और वोक्सवैगन जैसी यूरोपीय कारें भारतीय बाजार में सस्ती हो सकती हैं। हालांकि, भारत की ऑटो इंडस्ट्री देश की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है और इसमें 40 मिलियन से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है। अगर भारत ईयू के लिए ऑटो टैरिफ कम करता है, तो जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को भी यही रियायत देनी पड़ सकती है, जिससे भारतीय ऑटो उद्योग को झटका लग सकता है।
4. निवेश संरक्षण और श्रम कानून
ईयू चाहता है कि भारत अपने श्रम और पर्यावरण नियमों को उनकी शर्तों के अनुसार ढाले, लेकिन भारत इस पर सावधानी बरत रहा है। वहीं, भारत सेवा क्षेत्र में अपने पेशेवरों को यूरोप में काम करने की ज्यादा सुविधाएं देने की मांग कर रहा है।
भारत-ईयू व्यापार में क्या दांव पर लगा है?
वित्त वर्ष 2024 में भारत और ईयू के बीच व्यापार 190 अरब डॉलर से ज्यादा का रहा। भारत ने 76 अरब डॉलर के सामान और 30 अरब डॉलर की सेवाओं का निर्यात किया, जबकि ईयू ने 61.5 अरब डॉलर के सामान और 23 अरब डॉलर की सेवाएं भारत को बेचीं। अगर यह समझौता सफल होता है, तो दोनों पक्षों के लिए व्यापार के नए दरवाजे खुल सकते हैं। हालांकि, कई अहम बिंदुओं पर सहमति बनना अभी बाकी है, और भारत के लिए यह संतुलन बनाना जरूरी है कि वह विदेशी निवेश आकर्षित करे, लेकिन अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को नुकसान न पहुंचाए।