राष्ट्रीय
Trending

व्यापार समझौते को लेकर ट्रंप सरकार से लगातार बात कर रहा भारत: जयशंकर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए जवाबी टैरिफ का असर अभी साफ़ नहीं है, लेकिन भारत की रणनीति इस हालात से निपटने के लिए अमेरिका के साथ इस साल के अंत तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने की है। ये बात बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कही। टैरिफ को लेकर अमेरिकी नीति पर पहली बार खुलकर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है जो ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका से व्यापार समझौते की दिशा में ठोस बातचीत तक पहुंचा है। ट्रंप द्वारा पांच देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, के खिलाफ भारी टैरिफ लगाए जाने के कुछ ही घंटों बाद जयशंकर का यह बयान आया। इन टैरिफ्स के लागू होने से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा है और आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ गई है। भारत ने अब तक इस पर बहुत सोच-समझकर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर बातचीत कर रहा है। जयशंकर ने ‘न्यूज़ 18 राइजिंग भारत समिट’ में कहा, “अभी यह कहना मुश्किल है कि इसका असर क्या होगा, क्योंकि हमें भी नहीं पता। लेकिन हमारी रणनीति क्या है, ये साफ़ है। हमने तय किया कि हम शुरुआत से ही ट्रंप प्रशासन के साथ इस मसले पर बातचीत करेंगे और ये बातचीत दोनों तरफ से काफी खुले और सकारात्मक माहौल में हुई। तय किया गया कि इस साल के अंत तक हम एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने की कोशिश करेंगे।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फरवरी में वॉशिंगटन डीसी में हुई बातचीत के बाद दोनों देशों ने घोषणा की थी कि व्यापार समझौते का पहला हिस्सा 2025 के अंत तक तैयार कर लिया जाएगा। जयशंकर ने कहा, “मुझे लगता है कि ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद हम अकेले ऐसे देश हैं जिनके साथ उन्होंने इस तरह की आपसी सहमति बनाई है।” उन्होंने कहा कि आज दुनिया के हर देश को अमेरिका से निपटने के लिए अपनी-अपनी रणनीति बनानी पड़ रही है और भारत की कोशिश है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार समझौते तक पहुंचे। “हमारी रणनीति का एक साफ़ मकसद है — और वह यह देखना कि क्या हम इस हालात से निपटने के लिए एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता कर सकते हैं। और मैं यह भी जोड़ना चाहूंगा कि इस दिशा में काम करना हमारे लिए कोई नया या अजीब विचार नहीं है, बल्कि यह तो काफी समय से हमारी सोच में रहा है।” जयशंकर ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात ने शायद इस गंभीर बातचीत का मौका बना दिया है। उन्होंने आगे कहा, “अगर आप ट्रंप के पहले कार्यकाल को देखें, तब भी हम एक व्यापार समझौता करने की कोशिश कर रहे थे जो पूरा नहीं हो पाया। और अगर बाइडन प्रशासन की बात करें, तो उस दौरान भी व्यापार को लेकर चर्चा हुई और हम IPEF इनिशिएटिव तक पहुंचे।”

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने मई 2022 में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए एक बड़े विज़न के तहत “इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी” (IPEF) की शुरुआत की थी, जिसमें साफ ऊर्जा, सप्लाई चेन मज़बूती और डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों में गहराई से सहयोग की बात थी। जयशंकर ने कहा, “बाइडन प्रशासन तो द्विपक्षीय समझौते करने के बिल्कुल पक्ष में नहीं था। लेकिन भारत के नजरिए से देखा जाए तो अमेरिका के साथ ऐसा कोई द्विपक्षीय समझौता करना हमारे लिए कोई गलत या अनचाही बात नहीं है।” बल्कि, उन्होंने कहा कि यह तो लंबे समय से हमारी इच्छा रही है।

Related Articles

Back to top button