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क्रिप्टोकरेंसी पर खुफिया एजेंसी का अलर्ट: आतंकी फंडिंग और ड्रग्स तस्करी में इस्तेमाल की आशंका

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर शक: आतंकी फंडिंग, साइबर क्राइम और नशीली दवाओं की तस्करी में हो सकता है इस्तेमाल

भारत की केंद्रीय वित्तीय खुफिया एजेंसी (FIU) द्वारा किए गए एक अध्ययन में संदेह जताया गया है कि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग देश में गंभीर आपराधिक गतिविधियों जैसे आतंकवादी फंडिंग, अलगाववादी गतिविधियों, साइबर अपराध और नशीली दवाओं की तस्करी में हो सकता है। इसके अलावा, अवैध सट्टेबाजी और जुआ में भी इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई गई है।

FIU ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान क्रिप्टो से जुड़े कई संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट (STR) इकट्ठा कर उनके “ऑपरेशनल विश्लेषण” के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की। हालांकि, रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि यह केवल संदेह पर आधारित है, लेकिन इसका असर वित्तीय और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, FIU ने इन गतिविधियों के बारे में प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों के साथ “विश्नसनीय” खुफिया जानकारी साझा की और कुछ मामलों में जरूरी कार्रवाई भी की गई।

क्रिप्टोकरेंसी भारत में वैध या अवैध?

भारत सरकार फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रही है, लेकिन अभी तक इसे अवैध घोषित नहीं किया गया है। वर्ष 2022 से क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर 30% की दर से कर लगाया जा रहा है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भी निजी क्रिप्टो संपत्तियों को लेकर आशंकित है और इसे देश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा मानता है।

किन अपराधों में हो सकता है क्रिप्टो का इस्तेमाल?

FIU के अध्ययन में यह सामने आया कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल चाइल्ड पोर्नोग्राफी (CSAM), आतंकवादी फंडिंग, नशीली दवाओं की तस्करी, सट्टेबाजी और जुए में किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों पर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए “म्यूल अकाउंट्स” का उपयोग किया गया, जहां वीपीएन (VPN) के माध्यम से भारी मात्रा में धनराशि विदेशों से स्थानांतरित की गई।

रिपोर्ट में संदेह जताया गया कि “संवेदनशील क्षेत्रों” में रहने वाले लोगों द्वारा भारी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन किया गया, जिसे आतंक

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