
वकीलों में आक्रोश, अधिवक्ता संशोधन बिल को बताया ‘काला कानून’, विरोध में उतरेंगे वकील
इंदौर: प्रदेशभर के वकील अधिवक्ता संशोधन बिल के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। उनका मानना है कि यह बिल वकीलों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के खिलाफ है और अगर इसे पास कर दिया गया, तो वकीलों के अधिकार बुरी तरह प्रभावित होंगे। वकीलों का कहना है कि यह बिल काला कानून है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
‘बिल से वकालत की छवि धूमिल होगी’
वकीलों का कहना है कि अधिवक्ता पेशा समाज में हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखा गया है, लेकिन इस बिल में कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जो इस पेशे की छवि को खराब कर सकते हैं। बिल में वकीलों के लिए कोई भी कल्याणकारी योजना नहीं रखी गई। वकीलों ने इस बिल के खिलाफ आवाज उठाते हुए घोषणा की है कि वे शुक्रवार को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेंगे।
28 फरवरी तक मांगे गए सुझाव, विरोध जारी
केंद्र सरकार के कानूनी विभाग ने सोशल मीडिया पर अधिवक्ता संशोधन बिल-2025 का ड्राफ्ट जारी किया है और 28 फरवरी तक आपत्तियां व सुझाव मांगे हैं। हालांकि, प्रदेशभर के वकील इस बिल का खुलकर विरोध कर रहे हैं। राज्य अधिवक्ता परिषद के को-चेयरमैन जय हार्डिया का कहना है कि इस बिल के जरिए वकीलों को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। यह बिल बार काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य अधिवक्ता परिषद पर सरकारी दखल बढ़ाने वाला है, जो पूरी तरह से अनुचित है। परिषद के सदस्य नरेंद्र जैन, सुनील गुप्ता, विवेक सिंह और केपी गनगौरे ने भी इस बिल का विरोध किया है।
कई शहरों में वकील आज काम नहीं करेंगे
परिषद के सदस्य नरेंद्र जैन ने जानकारी दी कि इस बिल के विरोध में प्रदेश के कई अधिवक्ता संघ शुक्रवार को कामकाज बंद रखेंगे। जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, रीवा, जावद, कटनी, नर्मदापुरम और बेगमगंज सहित कई शहरों में अदालतों में वकील कार्य नहीं करेंगे।
23 फरवरी को तय होगी अगली रणनीति
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 23 फरवरी को सभी राज्य अधिवक्ता परिषदों के साथ बैठक बुलाई है, जिसमें इस बिल के खिलाफ आगे की रणनीति तय की जाएगी। मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद पहले ही साफ कर चुका है कि वह इस बिल के सख्त खिलाफ है।
आखिर वकील इस बिल का विरोध क्यों कर रहे हैं?
- विदेशी वकील और फर्मों को भारत में कानूनी मामलों में पैरवी करने की अनुमति दी जाएगी।
- कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले लॉ ग्रेजुएट्स को भी मुकदमों की पैरवी करने की छूट मिलेगी।
- बार काउंसिल और राज्य अधिवक्ता परिषद में निर्वाचित सदस्यों के अलावा सरकार तीन शासकीय सदस्य नियुक्त करेगी।
- वकीलों के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में सेवा में कमी को लेकर शिकायतें दर्ज कराई जा सकेंगी।
- किसी भी परिस्थिति में वकील कार्य से विरत (हड़ताल) नहीं रह सकेंगे।
- अदालत में किसी भी वकील द्वारा अभद्र व्यवहार करने पर उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है और उसकी वकालत की सनद निलंबित की जा सकती है।
वकीलों का कहना है कि यह बिल वकालत की आजादी पर सीधा हमला है और अगर इसे वापस नहीं लिया गया, तो इसका जबरदस्त विरोध किया जाएगा।