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इजराइल-लेबनान विवाद; सैनिकों की वापसी क्यों रुकी? जानिए वजह

इजराइल-लेबनान तनाव: सैनिकों की वापसी की समयसीमा बढ़ी, हालात अब भी नाजुक इजराइल और लेबनान के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को खत्म करने के लिए किए गए युद्धविराम के बाद अब सैनिकों की वापसी को लेकर नई सहमति बनी है। व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि इजराइली सैनिकों के दक्षिणी लेबनान से वापस जाने की समयसीमा 18 फरवरी 2025 तक बढ़ा दी गई है। यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इजराइल ने इस क्षेत्र में लेबनानी सेना की पूर्ण तैनाती सुनिश्चित न होने का हवाला देकर समय मांगा है।

समयसीमा क्यों बढ़ाई गई?

इजराइल का कहना है कि जब तक लेबनानी सेना हिजबुल्लाह के प्रभाव को रोकने के लिए पूरी तरह तैनात नहीं होती, उनकी सेना वहां से नहीं हट सकती। दूसरी ओर, लेबनान का कहना है कि इजराइली सेना की मौजूदगी के कारण वे अपनी सेना को पूरी तरह तैनात नहीं कर पा रहे हैं। अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों पक्ष 18 फरवरी तक समयसीमा बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।

तनाव और हिंसा का माहौल

रविवार को दक्षिणी लेबनान में इजराइली सैनिकों की वापसी की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी हुई। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस घटना में 22 लोग मारे गए और 124 से अधिक घायल हुए। मृतकों में महिलाएं और एक लेबनानी सैनिक भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों में से कई हिजबुल्लाह के झंडे लिए हुए थे।
इजराइली सेना ने इस हिंसा के लिए हिजबुल्लाह को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि “दंगाइयों” ने सीमा पर हालात बिगाड़ने की कोशिश की।

लेबनान की प्रतिक्रिया

लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने कहा कि उनकी सरकार लेबनान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने जनता से संयम बरतने और सेना पर भरोसा रखने की अपील की। वहीं, संसद अध्यक्ष नबीह बेरी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तुरंत हस्तक्षेप कर इजराइल को लेबनानी क्षेत्र से हटाने की मांग की है।

संयुक्त राष्ट्र की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (UNIFIL) और लेबनान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक ने दोनों पक्षों से युद्धविराम समझौते का पालन करने का आग्रह किया है। बयान में कहा गया कि ब्लू लाइन (सीमा क्षेत्र) पर स्थिति अभी भी अनुकूल नहीं है। UNIFIL ने इजराइली सेना की वापसी और लेबनानी सेना की तैनाती सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

आगे का रास्ता

दक्षिणी लेबनान में जारी हिंसा और तनाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। सैनिकों की वापसी की समयसीमा बढ़ाने से दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी और गहराने की आशंका है। साथ ही, हिजबुल्लाह की गतिविधियां तनाव को और बढ़ा सकती हैं। इजराइल और लेबनान के बीच सैनिकों की वापसी पर सहमति बनी जरूर है, लेकिन हालात अब भी नाजुक बने हुए हैं। दोनों देशों को बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान निकालने की जरूरत है ताकि क्षेत्र में शांति स्थापित हो सके।

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