
जलियांवाला बाग: बैसाखी के त्योहार पर जब खुशियों के बीच याद आया वो दर्दनाक दिन बैसाखी के पावन मौके पर जब पूरा देश नई फसल के आने और नए जीवन की शुरुआत का जश्न मना रहा है, उसी वक्त एक ऐसा खौफनाक और दुख भरा किस्सा भी याद आ गया जिसने देश के इतिहास पर गहरा असर छोड़ा। जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिक्र आते ही आज भी रूह कांप जाती है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी भावुक होकर शहीदों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बैसाखी की शुभकामनाएं देते हुए उन वीरों को नमन किया जो इस दर्दनाक घटना में देश के लिए कुर्बान हो गए। जलियांवाला बाग हत्याकांड पर पीएम मोदी का भावनात्मक संदेश पीएम मोदी ने अपने संदेश में कहा, “जलियांवाला बाग के शहीदों को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। उनका हौसला और देशभक्ति आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। यह हमारे इतिहास का वो काला पल है जिसे हम कभी नहीं भूल सकते। उनका बलिदान हमारे आज़ादी के आंदोलन में एक बड़ा मोड़ लेकर आया था।” राहुल गांधी ने याद दिलाया ‘तानाशाही का चेहरा’ विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी इस मौके पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, “जलियांवाला बाग हत्याकांड में जान गंवाने वाले सभी वीरों को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। ये नरसंहार उस तानाशाही और बेरहमी की याद दिलाता है जिसे ये देश कभी नहीं भूलेगा।” राहुल गांधी ने यह भी कहा कि इन शहीदों का जज़्बा और कुर्बानी आने वाली नस्लों को यह सिखाते रहेंगे कि जब भी ज़ुल्म और नाइंसाफी हो, तो उसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए। उनका बयान आज़ादी की लड़ाई के उस दौर की याद दिलाता है, जब लोग अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े होते थे।
गृहमंत्री शाह ने जलियांवाला बाग को बताया आज़ादी का जनांदोलन गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस हत्याकांड को याद करते हुए गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा, “भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का वो दर्दनाक पल, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। अंग्रेजों की बेरहमी और इंसानियत को रौंद देने वाली उस क्रूरता ने देश में ऐसा आक्रोश भरा कि आज़ादी की लड़ाई हर नागरिक की आवाज़ बन गई।” उन्होंने शहीदों को याद करते हुए कहा कि देश हमेशा उनके बलिदान को दिल से याद रखेगा। जलियांवाला बाग: वो पल जो इतिहास में हमेशा जिंदा रहेगा 13 अप्रैल 1919, बैसाखी के दिन, अमृतसर के जलियांवाला बाग में हजारों लोग एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए थे। लेकिन जनरल डायर ने अपनी फौज के साथ वहां पहुंचकर बिना कोई चेतावनी दिए गोलियां चलवा दीं। इस गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए और कई हजार घायल हो गए। ये सिर्फ एक हत्याकांड नहीं था, बल्कि अंग्रेजी हुकूमत की बेरहमी का ऐसा चेहरा था, जिसने पूरे देश को अंदर तक हिला दिया। रवींद्रनाथ टैगोर ने इसी के विरोध में अपनी नाइटहुड की उपाधि वापस कर दी थी। वहीं, गांधी जी ने इस घटना से प्रेरणा लेकर असहयोग आंदोलन को नई दिशा दी। जलियांवाला बाग: आज भी दिलों में ज़िंदा है वो कुर्बानी आज जलियांवाला बाग एक राष्ट्रीय स्मारक बन चुका है। ये जगह उन वीरों की याद दिलाती है जिन्होंने बिना डरे अपने देश के लिए जान दे दी। आज भी देशभर से लोग यहां आते हैं, शहीदों को नमन करते हैं और याद करते हैं कि आज़ादी हमें कितनी बड़ी कीमत चुकाकर मिली थी। ये स्मारक हर आने-जाने वाले को यह एहसास दिलाता है कि आज जो आज़ादी हमारे पास है, उसके पीछे अनगिनत कुर्बानियों की कहानियां छुपी हैं।