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MP Board Result: 10वीं-12वीं के नतीजे वक्त पर जारी हों, मुख्यमंत्री ने जताई सख्ती

भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे समय पर घोषित हों। उन्होंने कहा कि हर स्कूल में बच्चों के लिए बिजली, पंखे, साफ और ठंडा पीने का पानी, और लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय जैसी जरूरी सुविधाएं पूरी तरह से हों। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी स्कूल जर्जर हालत में नहीं होना चाहिए। ऐसा माहौल तैयार करें कि बच्चे खुशी-खुशी स्कूल जाएं। सीएम ने कन्या छात्रावास में महिला अधिकारियों की नियुक्ति, स्कूलों में मिड-डे मील (मध्याह्न भोजन) की अच्छी व्यवस्था और साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देने को कहा। बैठक में जानकारी दी गई कि इस बार बोर्ड परीक्षा के परिणाम मई के पहले हफ्ते में ही घोषित करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों की शिक्षा, सेहत और पोषण सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसी दिशा में इस साल स्कूली शिक्षा के बजट में तीन हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है, ताकि किसी भी तरह की कमी न रहे।

शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए खास जोर

सीएम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का पूरा पालन किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि देश के अन्य राज्यों में लागू नई शिक्षा नीति के मॉडल को समझकर प्रदेश में एक ठोस कार्ययोजना तैयार की जाए। प्राथमिक स्तर से ही बच्चों को अच्छे पारिवारिक मूल्यों और नैतिक शिक्षा देने पर खास ध्यान हो। इसके लिए विद्या भारती, गायत्री परिवार और आर्ट ऑफ लिविंग जैसी संस्थाओं को स्कूलों से जोड़ा जाए। साथ ही, शिक्षा से जुड़े सभी विभागों की मिलीजुली समिति बनाकर शैक्षिक सुधार की दिशा में ठोस योजना बनाई जाए।

पुराने स्कूलों की हालत सुधारे सरकार और समाज मिलकर

बैठक में यह भी कहा गया कि जो स्कूल जर्जर हो चुके हैं, उनकी मरम्मत के लिए सिर्फ सरकारी बजट पर निर्भर न रहें। इसमें स्थानीय पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, समाजसेवी संस्थाएं, पुराने छात्र और सीएसआर फंड की मदद भी ली जा सकती है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा स्तर पर ऐसे स्कूलों की जानकारी इकट्ठा करने को कहा, ताकि विधायक निधि से भी सुधार के काम किए जा सकें।

ओपन बोर्ड के नए प्रयोगों पर भी हुई चर्चा

राज्य ओपन बोर्ड द्वारा किए जा रहे नए प्रयोगों की जानकारी भी बैठक में दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे स्कूल जो बोर्ड परीक्षाओं में 100 प्रतिशत परिणाम दे रहे हैं, उन्हें अपग्रेड किया जाए। उन्होंने सांदीपनि स्कूल को पूरे देश में एक आदर्श मॉडल के रूप में विकसित करने पर जोर दिया — जहाँ पढ़ाई के साथ-साथ खेल, कला-संस्कृति और बच्चों के समग्र विकास की ट्रेनिंग दी जाए।

तबादले में पारदर्शिता और नियुक्तियों में तेजी

सीएम ने शिक्षकों की भर्ती और अतिशेष शिक्षकों की नियुक्तियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि तबादले पूरी पारदर्शिता से हों और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही करने वाले जिला शिक्षा अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। उज्जैन में शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक का रिक्त पद भी जल्द भरने का निर्देश दिया।

नर्सरी क्लास का अभाव बना सरकारी स्कूलों में दाखिले की वजह

मुख्यमंत्री ने जब पहली कक्षा में बच्चों के दाखिले कम होने का कारण पूछा, तो स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि अधिकतर बच्चे प्राइवेट स्कूलों की नर्सरी में ही एडमिशन ले लेते हैं। सरकारी स्कूलों में नर्सरी नहीं होने के कारण बाद में उन्हें वापस लाना मुश्किल होता है। इस पर सीएम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्राइमरी एजुकेशन को जल्द लागू करने को कहा।

अब साल में दो बार होंगी बोर्ड परीक्षाएं

बैठक में बताया गया कि बोर्ड परीक्षा प्रबंधन को लेकर इस बार खास इंतजाम किए गए। 266 संवेदनशील केंद्रों पर मोबाइल जैमर लगाए गए ताकि नकल या पेपर लीक जैसी घटनाएं रोकी जा सकें। नई शिक्षा नीति के तहत अब साल में दो बार परीक्षा करवाई जाएगी। इससे अगर कोई बच्चा पहली बार में फेल हो जाए तो उसे दोबारा मौका मिलेगा और उसका साल बर्बाद नहीं होगा। साल के अंत में बच्चों को अंतिम रिजल्ट की मार्कशीट दी जाएगी।

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