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अब कोयले की जरूरत भारत खुद ही पूरी कर रहा है! घटा इंपोर्ट, बढ़ा प्रोडक्शन

कोयला आयात में कमी: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा कदम!

भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में कोयले के आयात में 1.7% की कमी देखी है, जो देश की बढ़ती आत्मनिर्भरता का एक बड़ा संकेत है! कुल आयात 263.56 मिलियन टन रहा, जो पिछले साल के 268.24 मिलियन टन से कम है। यह कमी दिखाती है कि भारत अब अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए विदेशी कोयले पर कम निर्भर हो रहा है।

नॉन-कोकिंग कोयले में सबसे ज़्यादा कमी

गिरावट का सबसे बड़ा कारण नॉन-कोकिंग कोयले के आयात में कमी है। यह कोयला बिजली संयंत्रों और उद्योगों में खूब काम आता है। 2024-25 में इसका आयात 167.10 मिलियन टन रहा, जो पिछले साल के 175.96 मिलियन टन से कम है। इससे साफ़ पता चलता है कि देश में कोयले का घरेलू उत्पादन बढ़ा है और हमारी ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत हो रही है।

कोकिंग कोयले की मांग में बदलाव

स्टील उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कोकिंग कोयले के आयात में भी कमी आई है। इस साल आयात 54.08 मिलियन टन रहा, जबकि पिछले साल यह 57.22 मिलियन टन था। इसका मतलब या तो स्टील उद्योग की मांग कम हुई है या फिर घरेलू विकल्प मिल रहे हैं। सरकार का घरेलू संसाधनों पर ज़ोर इस बदलाव में अहम भूमिका निभा रहा है।

मार्च महीने का रुझान

Mjunction Services Ltd के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2025 में भी कोयले का आयात कम रहा। कुल आयात 22.79 मिलियन टन रहा, जो पिछले साल मार्च के 23.96 मिलियन टन से कम है। Mjunction के CEO के अनुसार, यह कमी पहले से ही अनुमानित थी क्योंकि देश में पहले से ही पर्याप्त स्टॉक मौजूद था।

घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी: एक अरब टन का आंकड़ा पार!

2024-25 में भारत का कोयला उत्पादन 1,047.57 मिलियन टन रहा, जो पिछले साल के 997.83 मिलियन टन से 4.99% ज़्यादा है। यह पहली बार है जब देश का कोयला उत्पादन एक अरब टन से ज़्यादा हुआ है! यह बढ़ोतरी देश की आत्मनिर्भरता को और मज़बूत करती है।

सरकार का लक्ष्य: आत्मनिर्भरता और टिकाऊ विकास

कोयला मंत्रालय का लक्ष्य देश को कोयले में आत्मनिर्भर बनाना, आयात कम करना और टिकाऊ खनन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना है। यह ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए बहुत ज़रूरी है। इन प्रयासों से भारत कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।

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