नहीं रहे पद्मश्री पुरातत्वविद डॉ अरुण कुमार शर्मा
रायपुर । पुरातत्वविद पद्मश्री डॉ. अरुण कुमार शर्मा नहीं रहे। उन्होंने बुधवार 28 फरवरी की रात 11:30 बजे अंतिम सांस ली। देवलोक गमन की खबर से शोक की लहर है। छत्तीसगढ़ ने एक विद्वान सपूत खो दिया है। अरुण शर्मा को अयोध्या में राम मंदिर जन्मभूमि स्थल की खोदाई और न्यायालय में सबूत पेश करने के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। सिरपुर की खोदाई में भी श्री शर्मा का योगदान अतुलनीय है।
डॉ. शर्मा ने करियर का आरम्भ भिलाई इस्पात संयंत्र से की थी। उन्हें इस काम में कुछ नयापन नहीं लगा, इसलिए नौकरी छोड़ दी। इसके पश्चात भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) नागपुर में तकनीकी सहायक पद पर भर्ती हुए। इसके बाद सीखने का जुनून शुरू हुआ, जो आज 90 वर्ष की उम्र में भी बरकरार रहा। 91 वर्ष की आयु में उन्होंने सुदीर्घ अनुभव के साथ देह त्याग कर परलोक गमन कर गए। अंतिम यात्रा 29 फरवरी 2024 को सुबह 10 बजे निज निवास करण नगर, चंगोराभाठा रायपुर से महादेव घाट मुक्तिधाम के लिए प्रस्थान करेगी।
डॉ अरुण शर्मा का जन्म 1933 में हुआ था। वे भारत के प्रख्यात पुरातत्त्वविद हुए। जनवरी 2017 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। वे छत्तीसगढ़ शासन के पुरातात्विक सलाहकार के रूप में लंबे अर्से तक कार्य किए। उन्होने छत्तीसगढ़ के अलावा भारत के अन्य स्थानों पर भी खुदाई करायी है। डॉ. अरुण शर्मा ने सिरपुर तथा राजिम में काफी काम किया है। उन्होंने सिरपुर में मिले प्राचीन मूर्तियों तथा मुखौटों के आधार पर कहा था कि हजारों वर्ष पहले यहाँ एलियंस आते रहे हैं। सिरपुर में मिले कई मूर्तियों में पश्चिमी देशों में मिले मूर्तियों से समानता के आधार पर उन्होंने यह बात की थी। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में पुरावैभव का भंडार है और इस बात की जरूरत है कि इस विषय पर और अधिक खोज की जाये और खासकर छत्तीसगढ़ के दो-तीन ऐतिहासिक पुरास्थलों में खुदाई की जाये, ताकि छत्तीसगढ़ का पुरावैभव प्रकाश में आ सके। उन्होंने आरंग में भी पुरातात्विक उत्खनन पर जोर दिया।