पीएम मोदी ने जलियांवाला बाग कांड पर ब्रिटिशों से टकराने वाले शंकरन नायर को किया सलाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को केरल के मशहूर वकील सी. शंकरन नायर को याद किया और 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड को लेकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ उनके साहसिक कदम की सराहना की। हरियाणा के दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट में 800 मेगावाट की ‘अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल’ ताप बिजली परियोजना की आधारशिला रखने के बाद पीएम मोदी ने लोगों से अपील की कि वो शंकरन नायर के योगदान के बारे में जरूर जानें। उनका यह ज़िक्र उस वक्त आया जब इस महीने के अंत में नायर के जीवन पर आधारित फिल्म ‘केसरी-2’ रिलीज़ होने जा रही है। अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड की बात करते हुए कहा कि इस दर्दनाक घटना में मारे गए लोगों की बात तो होती है, लेकिन एक पहलू ऐसा भी है जो अक्सर छिपा रह जाता है। “यह पहलू है इंसानियत के जज़्बे और देश के लिए खड़े होने का। उस इंसान का नाम था शंकरन नायर,” उन्होंने कहा। “आपमें से बहुतों ने शायद उनका नाम कभी नहीं सुना होगा, लेकिन इन दिनों उनकी चर्चा काफी हो रही है। नायर जी एक जाने-माने वकील थे और उस वक्त की ब्रिटिश सरकार में बहुत ऊंचे ओहदे पर थे। वो चाहते तो आराम से सत्ता और सुविधाओं का आनंद ले सकते थे,” पीएम मोदी ने लोगों से कहा।
लेकिन जलियांवाला बाग की घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया और उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया। “उन्होंने न सिर्फ आवाज उठाई, बल्कि अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया। वो केरल से थे और ये घटना पंजाब में हुई थी, लेकिन उन्होंने इंसाफ के लिए आगे बढ़कर ये केस लड़ा और अंग्रेज़ हुकूमत की जड़ें हिला दीं,” पीएम मोदी ने कहा। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि नायर ने इस मुद्दे पर ब्रिटिश सरकार को अदालत में घसीटा था। “ये सिर्फ इंसानियत के साथ खड़े होने की बात नहीं थी, बल्कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की एक शानदार मिसाल भी थी। सोचिए, केरल का एक व्यक्ति पंजाब में हुई घटना को लेकर अंग्रेजों से लड़ता है। इसी भावना ने आज़ादी की लड़ाई को ताकत दी और आज ये भावना ‘विकसित भारत’ की राह में हमारी सबसे बड़ी ताकत है,” पीएम मोदी ने कहा। उन्होंने कहा, “हमें शंकरन नायर के योगदान के बारे में जानना चाहिए। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के हर बच्चे को उनके बारे में पता होना चाहिए।” बता दें कि 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में जब लोग रौलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे, तब ब्रिटिश सेना ने बिना किसी चेतावनी के उन पर गोलियां चला दी थीं। सैकड़ों लोग मारे गए थे। उस वक्त शंकरन नायर वायसराय की काउंसिल के सदस्य थे, लेकिन इस घटना के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।