
RBI: इस हफ्ते रिज़र्व बैंक एक बार फिर ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट तक की कटौती कर सकता है, क्योंकि महंगाई के कम होने से नरम मौद्रिक नीति अपनाने की गुंजाइश बन रही है। साथ ही, मौजूदा वक्त में जब अमेरिका की ओर से लगाए गए जवाबी टैक्स दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बन रहे हैं, ऐसे में आर्थिक विकास को रफ्तार देने की ज़रूरत भी बढ़ गई है। फरवरी में, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC), जिसकी अध्यक्षता गवर्नर संजय मल्होत्रा कर रहे हैं, ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था। ये कटौती मई 2020 के बाद पहली बार और करीब ढाई सालों में पहली समीक्षा थी। एमपीसी की 54वीं बैठक 7 अप्रैल से शुरू हो रही है और इस पर फैसला 9 अप्रैल को सामने आएगा। रिज़र्व बैंक ने फरवरी 2023 से रेपो रेट (यानी शॉर्ट-टर्म लोन की ब्याज दर) 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। इससे पहले कोविड काल के दौरान मई 2020 में आखिरी बार दर घटाई गई थी और फिर इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत तक लाया गया।
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस का कहना है कि इस बार जो क्रेडिट पॉलिसी घोषित होने जा रही है, वह ऐसे समय में आ रही है जब दुनिया और देश दोनों के हालात में कई बदलाव हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी से विकास की संभावनाओं और करेंसी पर असर पड़ेगा, जिसे मौद्रिक नीति समिति को सामान्य आर्थिक स्थिति के आकलन से इतर भी ध्यान में रखना होगा। “जैसा कि अभी स्थिति साफ दिख रही है कि महंगाई कम है और लिक्विडिटी भी स्थिर हो चुकी है, ऐसे में इस बार रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की पूरी संभावना है। साथ ही, नीति का रुख भी ‘नरम’ हो सकता है यानी इस साल आगे भी और कटौतियों की उम्मीद की जा सकती है,” सबनवीस ने कहा। 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करीब 60 देशों, जिनमें भारत और चीन शामिल हैं, पर 11 से 49 प्रतिशत तक के जवाबी टैक्स लगाने की घोषणा की है, जो 9 अप्रैल से लागू होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए इसमें चुनौतियाँ और मौके दोनों हैं, क्योंकि चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे भारत के प्रतिस्पर्धी देशों को ज़्यादा टैक्स का सामना करना पड़ सकता है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा को भी उम्मीद है कि एमपीसी इस बैठक में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगी और नीति को ‘न्यूट्रल’ ही रखेगी। “हालांकि सेंट्रल बैंक लिक्विडिटी से जुड़ी अपनी कोशिशें जारी रखेगा ताकि शॉर्ट पोजिशन के अनवाइंडिंग और लंबे समय वाले वीआरआर (वेरिएबल रेट रेपो) की परिपक्वता से होने वाली कैश की कमी को संतुलित किया जा सके। लेकिन हम यह नहीं मानते कि एमपीसी की बैठक में सीआरआर कटौती जैसी कोई बड़ी घोषणा की जाएगी,” इक्रा ने कहा। इक्रा ने ये भी जोड़ा कि हाल ही में जो लिक्विडिटी बढ़ाने के ऐलान हुए हैं, उनका मकसद ब्याज दरों को ज़्यादा तेज़ी से सिस्टम में ट्रांसफर करवाना हो सकता है। वहीं, इंडस्ट्री संगठन एसोचैम का मानना है कि फिलहाल मौद्रिक नीति को लेकर ‘रुको और देखो’ वाला रुख अपनाना बेहतर होगा, बजाय अभी ही दरें घटाने के। एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा, “आरबीआई ने हाल ही में मार्केट में नकदी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं…हमें इन उपायों का असर निवेश और खपत पर देखने के लिए थोड़ा इंतज़ार करना चाहिए। ऐसे में लगता है कि इस बार की नीति में दरों को स्थिर ही रखा जाएगा।”
उन्होंने कहा कि बाहरी चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था नए वित्त वर्ष में मज़बूती से खड़ी रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए करीब 6.7 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ एक वाजिब अनुमान है और खुदरा महंगाई भी काबू में रहने की संभावना है। फरवरी में खुदरा महंगाई घटकर 3.61 प्रतिशत हो गई, जो सात महीनों में सबसे कम है। इसकी वजह सब्जियों, अंडों और प्रोटीन से भरपूर चीज़ों की कीमतों में गिरावट रही, जिससे आरबीआई को अगली दर कटौती के लिए जगह मिल गई है। जनवरी में खुदरा महंगाई 4.26 प्रतिशत और फरवरी 2024 में 5.09 प्रतिशत रही थी। इससे पहले इतना कम स्तर जुलाई में देखा गया था। सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि सेंट्रल बैंक से इस बार रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीद है, जिससे यह 6 प्रतिशत हो सकता है, ताकि खपत बढ़े और अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिले। उन्होंने कहा, “कम ब्याज दर से कर्ज लेना आसान होता है, जिससे लोग ज़्यादा घर खरीदने की सोचते हैं और इससे हाउसिंग मार्केट में मांग बढ़ती है।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस दर कटौती का असली असर इस पर निर्भर करेगा कि कमर्शियल बैंक आरबीआई के इस फैसले को लोगों तक कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से पहुंचाते हैं। आरबीआई गवर्नर के अलावा, मौद्रिक नीति समिति में दो वरिष्ठ केंद्रीय बैंक अधिकारी और सरकार की ओर से नियुक्त तीन सदस्य होते हैं।