
डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे गिरा, विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर
शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 6 पैसे गिरकर 87.18 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। ग्लोबल बाजारों में कमजोर सेंटीमेंट, व्यापारिक अनिश्चितताओं और घरेलू शेयर बाजार से विदेशी पूंजी के लगातार बाहर जाने का असर रुपये पर दिखा। हालांकि, फॉरेक्स ट्रेडर्स का कहना है कि अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये को ज्यादा गिरने से बचा लिया।
कैसे रहा रुपया का कारोबार?
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 87.13 पर खुला, लेकिन जल्दी ही गिरकर 87.18 के स्तर पर पहुंच गया। यह पिछले बंद स्तर से 6 पैसे की गिरावट दर्ज कर रहा था। गुरुवार को तीन दिन की तेजी के बाद रुपया 6 पैसे टूटकर 87.12 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इससे पहले लगातार तीन दिनों में रुपये ने 31 पैसे की मजबूती दर्ज की थी।
डॉलर इंडेक्स और कच्चे तेल का हाल
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को दर्शाता है, 0.04% गिरकर 103.99 पर था। ब्रेंट क्रूड वायदा बाजार में 0.20% की मामूली बढ़त के साथ 69.60 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था। यह छह महीने के निचले स्तर के करीब ही कारोबार कर रहा था।
शेयर बाजार और विदेशी निवेशकों का प्रभाव
घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी देखने को मिली। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 116.64 अंक यानी 0.16% गिरकर 74,223.45 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 19.30 अंक यानी 0.09% टूटकर 22,525.40 पर था। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने गुरुवार को शुद्ध रूप से 2,377.32 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, जिससे रुपये पर दबाव बना रहा।
आगे की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर
ग्लोबल स्तर पर निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों और शुक्रवार को जारी होने वाले सेंट्रल बैंक के बैलेंस शीट डेटा पर बनी हुई है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि उन्होंने मेक्सिको से आने वाले ज्यादातर सामानों पर 25% टैरिफ को एक महीने के लिए टाल दिया है। यह फैसला उनकी मेक्सिको के राष्ट्रपति से बातचीत के बाद लिया गया। ट्रंप का यह बयान अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कनाडा और मेक्सिको पर लगने वाले टैरिफ को “संभावित रूप से” टाला जा सकता है।