
बुधवार को रुपये ने अपनी गिरावट से उबरते हुए लगातार दूसरे दिन मजबूती दिखाई और 27 पैसे की बढ़त के साथ 86.52 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। इस सुधार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कदमों का बड़ा योगदान रहा। हालांकि, घरेलू शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव, विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी और मजबूत हो रही अमेरिकी मुद्रा ने रुपये की बढ़त को सीमित कर दिया।
कैसा रहा रुपये का प्रदर्शन?
इंटरबैंक फॉरेक्स मार्केट में रुपया 86.44 पर खुला, कारोबार के दौरान 86.36 का उच्चतम स्तर छुआ और फिर शुरुआती सौदों में 86.52 प्रति डॉलर पर ट्रेड कर रहा था, जो मंगलवार के मुकाबले 27 पैसे ज्यादा था। मंगलवार को रुपये ने 66 पैसे की मजबूती दर्ज की थी, जो 3 मार्च 2023 के बाद एक दिन की सबसे बड़ी बढ़त थी। यह उछाल तब आया जब सोमवार को रुपये ने इंट्राडे में 88 प्रति डॉलर के करीब गिरावट देखी थी, लेकिन बाद में जबरदस्त रिकवरी के साथ 87.45 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
डॉलर इंडेक्स और कच्चे तेल के दाम में हलचल
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, 0.07% बढ़कर 107.91 पर पहुंच गया। डॉलर की इस मजबूती की वजह अमेरिका द्वारा एल्युमीनियम और स्टील के आयात पर 25% टैरिफ लगाने के बाद व्यापारिक तनाव का बढ़ना बताया जा रहा है। वहीं, वैश्विक तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.31% गिरकर 76.36 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई, जिससे रुपये को सहारा मिला।
शेयर बाजार में गिरावट और विदेशी निवेशकों की बिकवाली
घरेलू शेयर बाजार में गिरावट जारी रही।
- BSE सेंसेक्स 259.89 अंक गिरकर 76,033.71 पर पहुंच गया।
- निफ्टी 72.40 अंक फिसलकर 22,999.40 पर ट्रेड कर रहा था।
इस बीच, विदेशी निवेशकों (FIIs) ने मंगलवार को 4,486.41 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिससे बाजार में दबाव बना रहा।
क्या आगे भी जारी रहेगी रुपये की मजबूती?
विशेषज्ञों के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमतें और विदेशी निवेशकों का रुख रुपये की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां और ग्लोबल मार्केट का ट्रेंड भी रुपये के भविष्य को प्रभावित करेगा।