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“भाषा थोपना नहीं, सीखने देना चाहिए”: कमल हासन का सधा हुआ जवाब हिंदी विवाद पर

कमल हासन का विवादित बयान और ‘थग लाइफ’ का विरोध: एक विस्तृत विश्लेषण

कमल हासन, दक्षिण भारत के जाने-माने अभिनेता, हाल ही में हिंदी भाषा को लेकर दिए गए अपने बयान से सुर्खियों में हैं। उनके बयान ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है, जिसने उनकी नई फिल्म ‘थग लाइफ’ की रिलीज़ को भी प्रभावित किया है।

भाषा थोपने पर आपत्ति

कमल हासन का मानना है कि किसी भी भाषा को जबरदस्ती नहीं थोपना चाहिए। उन्होंने भाषा को सीखने का अवसर देने पर ज़ोर दिया, न कि उसे थोपने पर। उनका कहना है कि शिक्षा में भाषा कभी बाधा नहीं बननी चाहिए और लोगों को बिना किसी दबाव के भाषा सीखने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने भाषा को एक माध्यम के रूप में देखने की वकालत की है, न कि उसे थोपने के तरीके से।

अंग्रेज़ी: एक व्यावहारिक विकल्प

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए, कमल हासन ने अंग्रेज़ी को एक व्यावहारिक विकल्प बताया है। उनका तर्क है कि देश में 350 सालों से अंग्रेज़ी शिक्षा की नींव है और अचानक हिंदी को थोपना लोगों को शिक्षा से वंचित करने जैसा है। उन्होंने विशेष रूप से तमिलनाडु में हिंदी थोपने के विरोध में अपनी बात रखी और कहा कि इससे तमिल भाषी लोग खुद को अनपढ़ महसूस करते हैं।

तमिल भाषा का सम्मान

कमल हासन ने सवाल उठाया कि अगर किसी को उसकी भाषा के आधार पर नौकरी या पहचान नहीं मिलेगी तो बाकी वादे क्या हुए? उन्होंने कहा कि क्या तमिल भाषा उन 22 आधिकारिक भाषाओं में शामिल नहीं है? उनका मानना है कि हिंदी जानने की शर्त पर नौकरी देना तमिल भाषी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है।

‘थग लाइफ’ पर मंडराता विवाद

कमल हासन की फिल्म ‘थग लाइफ’ उनके बयान के कारण विवादों में घिर गई है। कर्नाटक फिल्म चैंबर ने उनके कन्नड़-तमिल भाषा को लेकर दिए गए बयान पर नाराजगी जताते हुए फिल्म की रिलीज़ रोकने की मांग की। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद भी फिल्म कर्नाटक में रिलीज़ नहीं हो पाई।

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