इस साल FMCG सेक्टर की कमाई में हल्की बढ़त, लेकिन मुनाफे में खास बदलाव नहीं: रिपोर्ट

बैंकिंग फर्म BNP पारिबा इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, फिस्कल ईयर 2024-25 की चौथी तिमाही में FMCG कंपनियों की कमाई में करीब 5% की बढ़ोतरी हो सकती है, हालांकि मुनाफे के मार्जिन में ज्यादा बढ़त नहीं दिखेगी। रिपोर्ट में 2026 के लिए भी ज्यादातर कंपनियों की कमाई का अनुमान थोड़ा घटाया गया है, सिर्फ गोदरेज कंज़्यूमर प्रोडक्ट्स और इमामी को छोड़कर। हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2026 में FMCG सेक्टर के लिए एक “सकारात्मक आधार” बन सकता है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। BNP पारिबा की “इंडिया कंज़्यूमर रिपोर्ट – अप्रैल 2025” में कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि हमारी रिपोर्ट में शामिल FMCG कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ 3QFY25 के 4% से बढ़कर 4QFY25 में 5% तक पहुंच सकती है। इसमें मैरिको की अहम भूमिका होगी, जिसे कच्चे माल की महंगाई और गोदरेज कंज़्यूमर प्रोडक्ट्स की होम केयर कैटेगरी में रिकवरी का फायदा मिलेगा।” हालांकि, तिमाही के दौरान कई जरूरी कच्चे माल की कीमतें अब भी ऊंची बनी हुई हैं, जिससे कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ा है। हां, पाम ऑयल और चाय की कीमतों में पिछली तिमाही के मुकाबले थोड़ी राहत जरूर मिली है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 4Q FY25 में ज़रूरी रोज़मर्रा के सामान (स्टेपल्स) की बिक्री कमजोर रह सकती है, जबकि गैर-ज़रूरी सामान की डिमांड (डिस्क्रेशनरी कंज़म्पशन) अब भी ठीक-ठाक बनी हुई है। “हालांकि मार्जिन में गिरावट इसकी भरपाई कर देगी, जिसकी वजह से कंपनियों की साल-दर-साल EBITDA ग्रोथ फ्लैट या निगेटिव रह सकती है। रिपोर्ट में शामिल 10 में से 9 कंपनियों के ग्रॉस मार्जिन में गिरावट की उम्मीद है, खासकर एग्री प्रोडक्ट्स के महंगे होने से,” रिपोर्ट में बताया गया। डिस्क्रेशनरी यानी गैर-ज़रूरी चीज़ें बेचने वाली कंपनियां जैसे टाइटन और जुबिलेंट फूड्स का प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, “हमने अपनी कवरेज में शामिल 10 में से 8 कंपनियों के लिए FY26 के अनुमानित मुनाफे में कटौती की है। सिर्फ GCPL और इमामी के लिए थोड़ी बढ़ोतरी की गई है। हमारे FY26 के अनुमान बाज़ार की औसत उम्मीदों से 1-8% तक नीचे हैं।”
रिपोर्ट में 2026 में रेवेन्यू ग्रोथ में 6-8% तक की रिकवरी और EBITDA मार्जिन में थोड़ी सुधार की बात कही गई है, जबकि बाज़ार इससे ज्यादा सुधार की उम्मीद कर रहा है। इस रिपोर्ट में HUL, ब्रिटानिया, डाबर, ITC, इमामी, गोदरेज कंज़्यूमर, मैरिको, नेस्ले इंडिया, जुबिलेंट फूड्स और टाइटन जैसी लिस्टेड कंपनियों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में मांग थोड़ी सुधरी है, लेकिन शहरी इलाकों में आम लोगों की खरीदारी की रफ्तार धीमी पड़ी है। “साल की शुरुआत में रेवेन्यू ग्रोथ कमजोर थी, खासकर ग्रामीण मांग की कमी की वजह से। कई कंपनियों ने दाम भी घटाए थे, जिससे ग्रोथ पर असर पड़ा। बाद में थोड़ी रिकवरी ज़रूर दिखी, शायद कमज़ोर बेस, अच्छे मानसून और खाने की चीज़ों की ऊंची कीमतों के चलते।” लेकिन, शहरी मांग में आई सुस्ती से इस रिकवरी पर असर पड़ा। “इसी वजह से हम उम्मीद करते हैं कि ज्यादातर कंपनियां FY25 को लो या मिड सिंगल डिजिट रेवेन्यू ग्रोथ के साथ खत्म करेंगी, जो साल की शुरुआत में दिए गए उनके बयानों से काफी कम है।”