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विदेशी भ्रष्टाचार कानून पर ट्रंप की रोक, अडानी ग्रुप को मिलेगी राहत?

अडानी ग्रुप को राहत? ट्रंप ने घूसखोरी कानून लागू करने पर लगाई रोक

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 1977 के विदेशी भ्रष्टाचार रोकथाम कानून (FCPA) को लागू करने पर अस्थायी रोक लगा दी है। इसी कानून के तहत अडानी ग्रुप पर भ्रष्टाचार की जांच शुरू की गई थी। ट्रंप के इस फैसले से अडानी ग्रुप को राहत मिलने की संभावना जताई जा रही है।

क्या है मामला?

FCPA एक ऐसा कानून है, जो अमेरिकी कंपनियों और विदेशी कंपनियों को किसी भी विदेशी सरकार के अधिकारियों को घूस देने से रोकता है। इसी कानून के तहत अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) ने पिछले साल अडानी ग्रुप और उसके प्रमुख गौतम अडानी के खिलाफ जांच शुरू की थी। बाइडेन प्रशासन के दौरान DoJ ने अडानी ग्रुप पर आरोप लगाया था कि उसने भारत में सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (करीब 2,100 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी। अमेरिकी अभियोजकों का कहना था कि यह घूसखोरी अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छुपाई गई थी, जिससे उन्होंने अडानी ग्रुप के प्रोजेक्ट में अरबों डॉलर का निवेश किया।

ट्रंप के आदेश से क्या बदलेगा?

ट्रंप ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को आदेश दिया है कि FCPA कानून के तहत हो रही सभी नई जांचों को फिलहाल रोक दिया जाए और इस कानून की समीक्षा की जाए। आदेश के मुताबिक:

  • अगले छह महीने तक इस कानून के तहत कोई नई जांच शुरू नहीं होगी, जब तक अटॉर्नी जनरल विशेष अनुमति न दें।
  • पहले से चल रही जांचों की समीक्षा की जाएगी और देखा जाएगा कि क्या उन पर कार्रवाई जारी रखनी चाहिए या नहीं।
  • समीक्षा पूरी होने के बाद, अटॉर्नी जनरल को यह तय करना होगा कि अतीत में हुई किसी भी गलत जांच पर कोई सुधारात्मक कदम उठाए जाएं या नहीं।

अडानी ग्रुप के लिए क्या मतलब है यह फैसला?

ट्रंप के इस फैसले को अडानी ग्रुप के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, छह महीने बाद DoJ इस मामले पर क्या रुख अपनाएगा, यह अभी साफ नहीं है। पिछले साल, DoJ ने अडानी ग्रुप से जुड़े एक अन्य मामले में एक अमेरिकी सोलर एनर्जी कंपनी Azure के एक पूर्व अधिकारी पर भी आरोप लगाया था। अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था। वहीं, Azure कंपनी ने कहा कि जिन कर्मचारियों का नाम आया है, वे एक साल पहले ही कंपनी से अलग हो चुके थे।

अमेरिकी सांसदों की नाराजगी

इस मामले में अमेरिका के छह सांसदों ने नए अटॉर्नी जनरल को एक पत्र लिखा है, जिसमें बाइडेन प्रशासन के फैसलों पर सवाल उठाए गए हैं। सांसद लांस गुडेन, पैट फॉलन, माइक हैरिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर. टिमॉन्स और ब्रायन बबिन ने 10 फरवरी को पाम बॉन्डी को पत्र लिखकर DoJ के फैसलों पर चिंता जताई। उन्होंने लिखा कि बाइडेन प्रशासन ने कुछ मामलों को चुनिंदा तरीके से आगे बढ़ाया और कुछ को छोड़ दिया, जिससे अमेरिका के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हितों को नुकसान हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अमेरिका का करीबी सहयोगी है और ऐसे मामलों से दोनों देशों के रिश्तों पर असर पड़ सकता है। सांसदों के मुताबिक, अडानी ग्रुप का मामला भी ऐसा ही है, क्योंकि आरोप भारतीय कंपनी और भारत में मौजूद भारतीय अधिकारियों से जुड़े हैं। ऐसे में, इसे भारत के संबंधित अधिकारियों को सौंपना चाहिए था, लेकिन बाइडेन प्रशासन ने इसे जबरन आगे बढ़ाया।

अब आगे क्या होगा?

  • छह महीने तक FCPA कानून के तहत कोई नई जांच नहीं होगी।
  • अडानी ग्रुप से जुड़े मामले की फिर से समीक्षा की जाएगी
  • DoJ को तय करना होगा कि क्या यह मामला जारी रहेगा या खत्म किया जाएगा
  • अमेरिकी सांसदों के दबाव के चलते इस पूरे मामले पर राजनीतिक खींचतान भी हो सकती है

ट्रंप के इस फैसले को न सिर्फ अडानी ग्रुप बल्कि अन्य कंपनियों के लिए भी बड़ी राहत माना जा रहा है, क्योंकि इससे अमेरिकी न्याय विभाग की कई लंबित जांचों पर असर पड़ सकता है। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि समीक्षा के बाद इस मामले में क्या नया मोड़ आता है।

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