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पहलगाम में मासूमों की हत्या पर फूटा अमेरिका का गुस्सा, तुलसी गैबार्ड ने भारत का साथ देने की बात कही

अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गैबार्ड ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका इस कठिन समय में भारत के साथ खड़ा है, जब भारत पहलगाम हमले के गुनहगारों को पकड़ने की कोशिश कर रहा है, जिसमें 26 हिंदुओं की जान गई थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि अमेरिका भारत के साथ है और पहलगाम हमले के दोषियों को सजा दिलाने की मांग करता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकियों ने फायरिंग की थी, जिसमें ज्यादातर पर्यटकों समेत 26 लोगों की जान चली गई थी। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद से घाटी का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। गैबार्ड ने एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “हम इस भयानक इस्लामिक आतंकी हमले के बाद भारत के साथ एकजुटता में खड़े हैं, जिसमें पहलगाम में 26 हिंदुओं को निशाना बनाकर मारा गया।” उन्होंने आगे लिखा, “मेरी दुआएं और दिल से संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं जिन्होंने अपने किसी करीबी को खो दिया, प्रधानमंत्री @narendramodi और पूरे भारत के लोगों के साथ हैं। हम आपके साथ हैं और इस जघन्य हमले के गुनहगारों को पकड़ने में आपका पूरा समर्थन करते हैं।” बुधवार को इससे पहले, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात करते हुए इस हमले की कड़ी निंदा की थी और दोषियों को सजा दिलाने के लिए भारत को पूरा समर्थन देने की बात कही थी।

गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, “जैसा कि राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप और विदेश मंत्री (मार्को) रुबियो ने साफ तौर पर कहा है, अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है और हर तरह के आतंकवाद की निंदा करता है।” टैमी ब्रूस ने आगे कहा, “हम उन लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं जिन्होंने इस हमले में अपनी जान गंवाई और घायलों के जल्दी ठीक होने की दुआ करते हैं। हम चाहते हैं कि इस घिनौने हमले के दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका को लगता है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ हो सकता है और क्या वॉशिंगटन भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में कोई भूमिका निभा रहा है, तो ब्रूस ने कहा कि हालात की गंभीरता के चलते इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन फिलहाल इससे ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं बस इतना कह सकती हूं कि हालात तेजी से बदल रहे हैं और हम सबकुछ नजदीकी से देख रहे हैं, जैसा आप अंदाजा लगा सकते हैं। अभी हम कश्मीर या जम्मू के स्टेटस को लेकर कोई भी पोजीशन नहीं ले रहे, तो आज के लिए मैं सिर्फ इतना ही कह सकती हूं।” जब उनसे पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी, तो उन्होंने कहा, “मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगी… जैसा मैंने पहले भी कहा।”

इसी बीच, कांग्रेस सदस्य एलिस स्टेफानिक, जिन्हें राष्ट्रपति ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का राजदूत बनाने के लिए नामित किया है, उन्होंने भी कहा कि कश्मीर में हुए इस भयानक आतंकी हमले से अमेरिका बेहद दुखी है। उन्होंने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका पूरी मजबूती से भारत के साथ है। हम मासूमों की मौत का शोक मनाते हैं और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करते हैं। इस कठिन समय में प्रधानमंत्री मोदी और भारत के साहसी लोगों को हमारा पूरा समर्थन और दिल से संवेदनाएं हैं।” न्यू जर्सी के सीनेटर कोरी बुकर, जिन्होंने हाल ही में 25 घंटे 5 मिनट तक भाषण देकर सीनेट में सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड बनाया है, उन्होंने भी कहा कि कश्मीर में हुए इस आतंकी हमले से वह बेहद दुखी हैं, जिसमें कम से कम 26 लोगों की जान गई। उन्होंने कहा, “इस तरह की घिनौनी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। मैं इस दुखद घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की दुआ करता हूं।” कनेक्टिकट से अमेरिकी सीनेटर क्रिस मर्फी ने भी इस भयावह आतंकी हमले के पीड़ितों, उनके परिवारों और सभी प्रभावित लोगों के प्रति गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा, “बेकसूर नागरिकों के खिलाफ की गई इस तरह की हिंसा बेहद निंदनीय है। मैं जिम्मेदार लोगों को जल्दी से जल्दी सजा दिलाने और इस हमले के बाद पैदा हो सकने वाले जातीय तनाव को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की अपील करता हूं।”

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