
सुशांत केस में रिया चक्रवर्ती को क्लीन चिट, मीडिया ट्रायल पर उठे सवाल
सीबीआई ने शनिवार को सुशांत सिंह राजपूत केस में रिया चक्रवर्ती को क्लीन चिट दे दी। इस फैसले के साथ ही सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि रिया को ‘खलनायक’ बनाने की मीडिया मुहिम आखिर क्यों और किसके इशारे पर चलाई गई? खासकर, अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी ने जिस तरह इस मामले को भुनाया, वह सिर्फ टीआरपी के लिए किया गया था।
अर्नब गोस्वामी की अगुवाई में चला मीडिया ट्रायल
रिया चक्रवर्ती को ‘गुनहगार’ साबित करने की होड़ में अर्नब गोस्वामी सबसे आगे थे। उनकी अत्यधिक आक्रामक रिपोर्टिंग ने इस मामले को एक हाई-प्रोफाइल सनसनी बना दिया। जब रिपब्लिक टीवी को इस अभियान से टीआरपी में फायदा हुआ, तो अन्य चैनलों ने भी उसी राह पर चलते हुए रिया के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाया।
बीजेपी के लिए कई बार बनी परेशानी, फिर भी अर्नब को मिला संरक्षण
यह पहली बार नहीं था जब गोस्वामी की रिपोर्टिंग ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को असहज स्थिति में डाल दिया। इससे पहले, मुंबई पुलिस द्वारा टीआरपी घोटाले में दायर चार्जशीट में गोस्वामी के लीक हुए व्हाट्सएप चैट्स सामने आए थे। इनमें उन्होंने तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। इसके बावजूद, मोदी सरकार से उनकी करीबी बनी रही। इस समर्थन की वजह सिर्फ एक ही मानी जाती है – गोस्वामी का राष्ट्रवादी नैरेटिव गढ़ने में अहम भूमिका निभाना, जिससे बीजेपी को राजनीतिक फायदा होता है।
मोदी सरकार और अर्नब गोस्वामी का रिश्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार रिपब्लिक टीवी के कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं। हाल ही में हुए ‘रिपब्लिक प्लेनरी समिट’ में भी उन्होंने शिरकत की। लेकिन यह सवाल भी उठता है कि एक ऐसे मीडिया पर्सनालिटी के साथ मोदी का जुड़ाव, जिसे अपनी ‘जहरीली बहसों’ और बेबुनियाद दावों के लिए जाना जाता है, क्या उनके ‘विश्वगुरु’ वाली छवि को नुकसान नहीं पहुंचा रहा?
अंतरराष्ट्रीय मीडिया हाउस बनाने के वादे भी फेल
गोस्वामी ने रिपब्लिक को एक ग्लोबल मीडिया पावरहाउस बनाने का दावा किया था। लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक कोई अंतरराष्ट्रीय चैनल लॉन्च नहीं हुआ। दिलचस्प बात यह है कि इस साल के ‘रिपब्लिक समिट’ में उन्होंने इस विषय पर कोई बात तक नहीं की, जिससे यह साफ हो गया कि अब वह खुद भी इस दावे से पीछे हट चुके हैं।
मीडिया की जिम्मेदारी और गोस्वामी की भूमिका
मीडिया वॉचडॉग BestMediaInfo.com ने पहले भी न्यूज चैनलों में फैल रहे ज़हर के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी। खासकर, रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी की आक्रामक रिपोर्टिंग को लेकर सवाल उठाए गए थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी की ओर से गोस्वामी को समर्थन जारी रहेगा, क्योंकि वह सरकार के पक्ष में नैरेटिव गढ़ने में माहिर हैं, भले ही उनकी विश्वसनीयता सिर्फ उनके कट्टर समर्थकों तक ही सीमित हो। एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अर्नब गोस्वामी की ताकत बनी रहेगी, क्योंकि उन्हें बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन हासिल है।”
सरकार की वैश्विक छवि पर असर?
मोदी सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी साख को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। लेकिन ऐसे में गोस्वामी जैसे विवादित चेहरों से करीबी कहीं सरकार की छवि को धूमिल ना कर दे – यह सवाल उठना लाजिमी है।