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अल्लाहबादिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत, समय रैना पर कोर्ट की कड़ी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने पॉडकास्टर रणवीर अल्लाहबादिया को दी राहत, ‘द रणवीर शो’ दोबारा शुरू करने की इजाजत

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पॉपुलर पॉडकास्टर रणवीर अल्लाहबादिया को उनके शो ‘द रणवीर शो’ को दोबारा शुरू करने की अनुमति दे दी, लेकिन शर्त रखी कि शो में शालीनता और नैतिकता बनी रहनी चाहिए और यह सभी उम्र के दर्शकों के लिए उपयुक्त हो। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अल्लाहबादिया की इस दलील पर विचार किया कि उनका पॉडकास्ट ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है और उनके शो पर करीब 280 लोगों की रोज़ी-रोटी निर्भर है। कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता यह सुनिश्चित करने के लिए एक हलफनामा देगा कि उसके सभी पॉडकास्ट शो गरिमा और नैतिकता के स्तर को बनाए रखेंगे ताकि कोई भी उम्र का दर्शक उसे देख सके। इसके बाद, उसे ‘द रणवीर शो’ फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाती है।” इसके साथ ही, कोर्ट ने 18 फरवरी के अपने आदेश में बदलाव किया, जिसमें अल्लाहबादिया और उनके साथियों को किसी भी यूट्यूब या अन्य ऑडियो-वीडियो प्लेटफॉर्म पर शो प्रसारित करने से रोका गया था।

‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ पर बहस और कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों पर नाराज़गी जताई, जो इसके 18 फरवरी के आदेश के बाद ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ पर लेख लिख रहे थे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “हम जानते हैं कि कुछ लोग ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ के नाम पर लेख लिख रहे हैं। हमें पता है कि उनसे कैसे निपटना है। इस देश में मौलिक अधिकार कोई ‘थाली में परोसी हुई चीज़’ नहीं है। ये अधिकार, कर्तव्यों के साथ आते हैं और जब तक लोग अपने कर्तव्यों को नहीं समझेंगे, हमें पता है कि ऐसे तत्वों से कैसे निपटना है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि मौलिक अधिकारों का आनंद लेने का हर किसी को अधिकार है, लेकिन इसके साथ कर्तव्यों का पालन करना भी ज़रूरी है।

पुराने विवादों पर कोर्ट का निर्देश

रणवीर अल्लाहबादिया, जिन्हें ‘बीयर बाइसेप्स’ के नाम से जाना जाता है, उनके खिलाफ कई FIR दर्ज हैं। उन्होंने कॉमेडियन समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ में माता-पिता और सेक्स पर एक विवादित टिप्पणी की थी, जिससे विवाद खड़ा हो गया था। हालांकि, कोर्ट ने साफ कहा कि वह अपने किसी भी शो में उन मामलों से जुड़े विषयों पर चर्चा नहीं करेंगे, जो अभी अदालत में लंबित हैं। साथ ही, अदालत ने कहा कि विदेश यात्रा की उनकी मांग पर विचार तब किया जाएगा, जब वे जांच में सहयोग करेंगे और उनकी उपस्थिति की ज़रूरत नहीं होगी।

सरकार की आपत्ति और कोर्ट का जवाब

सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र और महाराष्ट्र व असम सरकार की ओर से पेश हुए, उन्होंने कहा कि रणवीर के विवादित बयान ना सिर्फ अश्लील बल्कि घोर आपत्तिजनक थे। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि उनके शो पर प्रतिबंध में कोई ढील न दी जाए।

“उन्हें कुछ समय तक शांत ही रहने दें,” मेहता ने कहा।

कोर्ट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रणवीर के वकील अभिनव चंद्रचूड़ से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके मुवक्किल को अपने किए का पछतावा होगा।

युवाओं की सोच पर कोर्ट की नाराजगी

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान इस बात पर नाराज़गी जताई कि एक अन्य आरोपी कनाडा चला गया और वहां इस मामले पर बयान दिए। उन्होंने कहा, “इन युवाओं को लगता है कि वे बहुत होशियार हैं और हम पुरानी पीढ़ी के हैं। इन्हें यह भी नहीं पता कि इस कोर्ट की कितनी शक्ति है। हम इनसे निपटना जानते हैं, लेकिन ये युवा हैं और हमें उम्मीद है कि ये ज़िम्मेदारी से पेश आएंगे। नहीं तो हमें मालूम है कि इनके साथ कैसे निपटना है।”

सोशल मीडिया के लिए नए नियमों पर चर्चा

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के साथ ही सोशल मीडिया पर ‘सामग्री विनियमन’ (Content Regulation) की आवश्यकता पर जोर दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सोशल मीडिया पर कंटेंट के लिए एक ड्राफ्ट रेगुलेटरी मैकेनिज्म तैयार करे ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नैतिकता के बीच संतुलन बना रहे। कोर्ट ने कहा कि इस ड्राफ्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि सभी हितधारक इस पर सुझाव दे सकें। “हम नहीं चाहते कि कोई ऐसा नियमन हो, जो अंततः ‘सेंसरशिप’ में बदल जाए,” अदालत ने केंद्र सरकार को हिदायत दी।

अन्य यूट्यूबर्स की याचिका पर भी विचार

कोर्ट ने यूट्यूबर आशीष चंचलानी की याचिका को भी इस मामले से जोड़ दिया है। इससे पहले, 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अल्लाहबादिया को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी, लेकिन उनके बयान को ‘अश्लील’ करार दिया था और कहा था कि ‘उनकी गंदी सोच ने समाज को शर्मसार किया है’। अल्लाहबादिया और समय रैना के अलावा, जसप्रीत सिंह और अपूर्वा माखीजा का भी नाम इस मामले में शामिल है।

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