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2024 का सालाना रिव्यू: प्रीडेटर ड्रोन से लेकर सी-295 विमान तक, भारत ने इस साल रक्षा क्षेत्र में क्या-क्या कमाल किया?

अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन: साल के आखिर में, भारत ने अमेरिका से 31 आधुनिक MQ-9B स्काईगार्डियन और सीगार्डियन ड्रोन खरीदने का सौदा किया। ये ड्रोन खास तौर पर समुद्र में निगरानी और जानकारी जुटाने के लिए बहुत काम आएँगे। ये ड्रोन हमारे समुद्री क्षेत्र में होने वाली हर गतिविधि पर नज़र रखेंगे। सौदे के मुताबिक, ड्रोन मिलने में चार साल लगेंगे। नौसेना को 15 ड्रोन मिलेंगे, जबकि सेना और वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।

सी-295 विमान का निर्माण: भारत ने गुजरात के वडोदरा में एक नया विमान निर्माण संयंत्र खोला, जहाँ सी-295 परिवहन विमान बनाए जाएँगे। ये विमान एयरबस स्पेन के साथ मिलकर बनाए जाएँगे। 56 विमानों में से 40 विमान भारत में ही बनेंगे। ये कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सी-295 विमान वायु सेना में शामिल: भारतीय वायु सेना ने एयरबस के स्पेनिश संयंत्र से सी-295 विमान मिलना शुरू कर दिया है। अक्टूबर 2024 तक छह विमान मिल चुके हैं। ये विमान पुराने अवरो विमानों की जगह लेंगे। ये विमान सैनिकों और सामान को दूर-दराज के इलाकों में ले जाने, चिकित्सा सेवाओं में मदद और आपदाओं के समय मदद करने में काम आएंगे।

‘आकाश्तीर’ प्रणाली: भारतीय सेना ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित आकाश्तीर’ प्रणाली को शामिल करना शुरू कर दिया है। ये प्रणाली हवाई हमलों से बचाव के लिए बहुत उपयोगी है। इसमें राडार सिस्टम और निगरानी सुविधाएँ भी शामिल हैं। 2024 में भारत ने रक्षा क्षेत्र में बहुत बड़े कदम उठाए हैं, और आने वाले समय में और भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल करने की उम्मीद है।भारतीय सेना ने देश की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए 100 आकाश तीर एयर डिफेंस सिस्टम हासिल कर लिए हैं! ये सिस्टम मिसाइल और रॉकेट हमलों से बचाव के लिए बनाए गए हैं।

आकाश तीर सिस्टम की कहानी: इस सिस्टम को बनाने का काम सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को दिया गया था। मार्च 2023 में रक्षा मंत्रालय ने बीईएल को ये काम सौंपा था। मार्च 2024 में बीईएल ने पहला आकाश तीर सिस्टम सेना को दिया, और 30 सितंबर 2024 तक सभी 100 सिस्टम सफलतापूर्वक सेना को सौंप दिए गए।

नई निगरानी उपग्रह योजना: इस साल, कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने 52 निगरानी उपग्रह बनाने और लॉन्च करने की एक 27,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी। 21 उपग्रह इसरो द्वारा बनाए जाएँगे, और बचे हुए 31 उपग्रह निजी कंपनियों द्वारा बनाए जाएँगे। इस योजना का मकसद भारत की अंतरिक्ष-आधारित निगरानी क्षमता को बढ़ाना है ताकि जमीन और समुद्र के क्षेत्रों पर लगातार नज़र रखी जा सके।

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