ड्रोन दीदी: जंजगीर की पहली ड्रोन दीदी ड्रोन उड़ाकर लाखों कमा रही हैं, महिलाओं के लिए बन गईं मिसाल

ड्रोन दीदी: आनंद नामदेव। खेतों के बीच हाथ में रिमोट कंट्रोल और आकाश में उड़ते ड्रोन पर टिकी नज़रें। तस्वीर में दिख रही ये महिला कृषि प्रधान जंजगीर-चांपा की पहली ड्रोन दीदी हैं, जो खुद आत्मनिर्भर बनीं और साथ ही अन्य महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने और कुछ हासिल करने के सपनों को भी पंख दे रही हैं।
ड्रोन दीदी: हेमलता अब ड्रोन दीदी के नाम से जानी जाती हैं। नवागढ़ ब्लॉक के गांव पोड़ीराचा की रहने वाली हेमलता मनहर अब ड्रोन वाली दीदी के नाम से जानी जाती हैं। पहले हेमलता बिहान से जुड़कर गांव के महिला समूहों के माध्यम से छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा करती थीं। लेकिन उनके बड़े सपने थे, जिन्हें केंद्र सरकार की ड्रोन योजना के पंखों का सहारा मिला। ग्वालियर में प्रशिक्षण लेने के बाद आज वह पूरे जिले में ड्रोन उड़ाकर अच्छी कमाई कर रही हैं। बीए तक पढ़ी हेमलता गांव की महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन गई हैं।
जो काम पहले किसानों को दवा छिड़कने में घंटों लगते थे, वह अब ड्रोन के माध्यम से मिनटों में हो रहा है। ड्रोन से सिर्फ 7 मिनट में एक एकड़ में दवा छिड़काव किया जा सकता है। पहले किसान अपने हाथों से रासायनिक दवा का छिड़काव करते थे, जिसमें ज्यादा श्रम भी लगता था। हेमलता कहती हैं कि किसान भी इस तकनीक को पसंद कर रहे हैं। खरीफ के अलावा अब किसान रबी फसलों के लिए भी मुझे बुलाते हैं।
एक सीजन में लाख रुपये तक की कमाई हेमलता कहती हैं कि अब वह ड्रोन की मदद से खेतों में कीटनाशक दवा छिड़ककर अच्छी कमाई कर रही हैं। उन्हें प्रति एकड़ छिड़काव के लिए 300 रुपये मिलते हैं और इफको कंपनी 100 रुपये देती है। इस तरह वह प्रति एकड़ 400 रुपये तक कमा लेती हैं। इस खरीफ सीजन में उन्होंने ड्रोन की मदद से 300 एकड़ खेतों में कीटनाशक दवा का छिड़काव किया है। हर महिला आत्मनिर्भर बन सकती है हेमलता कहती हैं कि गांव में आय के साधन बहुत सीमित हैं, खासकर महिलाओं के लिए। लेकिन अगर महिलाएं चाहें तो वे आत्मनिर्भर बन सकती हैं। बिहान इसके लिए एक बड़ा माध्यम है। इसके माध्यम से किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। आज मैं इससे जुड़कर ड्रोन दीदी बन गई हूं। हेमलता कहती हैं कि महिलाओं को खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए।