
चीन ने शनिवार को एक ऐसा अनोखा मैराथन आयोजित किया, जो दुनिया में पहली बार humanoid रोबोट्स और इंसानों को एक साथ दौड़ते हुए दिखा रहा था। इस दौड़ के ज़रिए चीन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी में अपनी तरक्की का प्रदर्शन किया, खासतौर पर अमेरिका के साथ चल रही तकनीकी दौड़ के बीच। बीजिंग के इकनॉमिक-टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट ज़ोन में हुई इस 21 किलोमीटर लंबी दौड़ में 21 humanoid रोबोट्स शामिल हुए। उनके साथ उनकी टेक टीम भी मौजूद थी, जो देश की नामी यूनिवर्सिटीज़ और टेक कंपनियों से जुड़े लोग थे। इंसानों और रोबोट्स को साथ दौड़ते देख लोगों का उत्साह देखने लायक था। रास्ते के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग जमा थे और तालियों के साथ उनका हौसला बढ़ा रहे थे। रोबोट्स को एक-एक मीटर के अंतर पर एक-एक करके दौड़ में शामिल किया गया था। उनके लिए खास ट्रैक बनाए गए थे। जहां ज़रूरत पड़ने पर बैटरी बदली जा रही थी, बिलकुल जैसे फॉर्मूला 1 रेस में पिट स्टॉप होता है।
इस दौड़ में स्पीड के अलावा और भी कई कैटेगरीज में अवॉर्ड दिए गए — जैसे ‘बेस्ट एंड्यूरेंस’ (यानी सबसे अच्छी सहनशक्ति), ‘बेस्ट गेट डिज़ाइन’ (जिसका चलने का तरीका सबसे बेहतरीन हो), और ‘मोस्ट इनोवेटिव फॉर्म’ (सबसे अनोखा डिज़ाइन)। इन अवॉर्ड्स के ज़रिए सिर्फ उनकी परफॉर्मेंस ही नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजिकल डिज़ाइन को भी सराहा गया। सरकारी न्यूज़ एजेंसी शिन्हुआ ने इसे दुनिया की पहली ऐसी दौड़ बताया और एक वीडियो भी जारी किया जिसमें कई रोबोट्स दौड़ते नज़र आए — एक ने तो काली धूप की टोपी और सफेद दस्ताने भी पहन रखे थे।
हालांकि, सोशल मीडिया पर शेयर किए गए कुछ वीडियो में दिखा कि ये दौड़ इतनी आसान नहीं थी। कुछ रोबोट्स को शुरुआत में ही तकनीकी परेशानी आई और कुछ तो गिर भी पड़े। इस दौड़ में 20 टीमों ने हिस्सा लिया था। उनमें से ‘तियांगोंग अल्ट्रा’ नाम की टीम ने 2 घंटे 40 मिनट में दौड़ पूरी कर पहला स्थान हासिल किया। हालांकि इंसानी रेस में एथियोपिया के एलिएस डेस्ता ने 1 घंटे 2 मिनट में रेस पूरी कर ली और पुरुष वर्ग के विजेता बने।
बीजिंग ह्यूमनॉइड रोबोट इनोवेशन सेंटर के सीईओ शिओंग यूजुन ने शिन्हुआ को बताया कि यह दौड़ रोबोट्स के कोर अल्गोरिद्म का टेस्ट थी, क्योंकि उन्हें ढलान, मोड़ और कठिन रास्तों से होकर गुजरना था — जिसमें बैलेंस, भरोसेमंद परफॉर्मेंस और लंबी बैटरी लाइफ की ज़रूरत थी।
चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स सोसाइटी का मानना है कि 2030 तक चीन का ह्यूमनॉइड रोबोट मार्केट 870 अरब युआन (करीब 119 अरब अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच सकता है। इवेंट के दौरान यीज़ुआंग एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी के डिप्टी डायरेक्टर लिआंग लिआंग ने कहा, “यह दौड़ पूरी करना रोबोट्स का अंतिम लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह तो इंडस्ट्री के विकास और नई रिसर्च का शुरुआती कदम है। आज के ये छोटे-छोटे कदम, कल की बड़ी टेक्नोलॉजी छलांगों का रास्ता बनाएंगे।” बीजिंग मैराथन एसोसिएशन के डायरेक्टर झाओ फूमिंग ने कहा कि इस रेस में दौड़ने वाले रोबोट्स की ऊंचाई और वज़न अलग-अलग थे। इन्हें आने वाले समय में मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर और एजुकेशन जैसे सेक्टर्स में काम में लाया जा सकता है। झाओ ने आगे कहा, “इस बार तो रोबोट्स ने दौड़ को हाईलाइट किया, लेकिन आगे आने वाले आयोजनों में इनका रोल रनर के तौर पर ही हो यह ज़रूरी नहीं है। ये सिक्योरिटी चेक या मैराथन से जुड़ी दूसरी ज़रूरी व्यवस्थाओं में भी मदद कर सकते हैं।” तकनीक की इस दौड़ में अमेरिका को टक्कर देने के मकसद से चीन ने इस अनोखे रोबोट मैराथन के ज़रिए दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के क्षेत्र में वह भी किसी से पीछे नहीं।