परमाणु ऊर्जा से सस्ता करंट और साफ हवा? SMR-300 को लेकर भारत-अमेरिका में बड़ी साझेदारी

India Nuclear Energy Update: भारत में बढ़ती बिजली की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अगर कोई सबसे साफ, टिकाऊ और भरोसेमंद तरीका है, तो वो है – परमाणु ऊर्जा। ये कहना है होलटेक इंटरनेशनल के CEO डॉ. क्रिस सिंह का। उनके मुताबिक अब वक्त आ गया है कि भारत ‘परमाणु ऊर्जा के नए दौर’ की तरफ बढ़े और अमेरिका इसमें भारत की पूरी मदद को तैयार है। डॉ. सिंह का कहना है कि भारत और अमेरिका, दोनों ही स्वच्छ ऊर्जा को लेकर गंभीर हैं और परमाणु ऊर्जा इस साझेदारी की एक मजबूत नींव बन सकती है। भारत में शुरू होगी छोटे परमाणु रिएक्टर SMR-300 की तैयारी
होलटेक कंपनी भारत में अपने छोटे मगर ताकतवर परमाणु रिएक्टर SMR-300 (Small Modular Reactors) लाने की तैयारी कर चुकी है। अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने भारत सरकार की सहमति के बाद अब इस रिएक्टर को भारत भेजने की इजाज़त दे दी है।
इस प्रोजेक्ट में भारत की तीन बड़ी कंपनियां भी साझेदार हैं –
- L&T (लार्सन एंड टुब्रो)
- Tata Consulting Engineers
- Holtec Asia (पुणे में होलटेक की भारतीय ब्रांच)
SMR-300 रिएक्टर की क्या है खासियत?
- ये दो यूनिट मिलकर 600 मेगावाट तक बिजली बना सकते हैं
- इसे लगाने के लिए सिर्फ 25 एकड़ ज़मीन की ज़रूरत होगी
- भूकंप जैसी आपदाओं के दौरान भी पूरी तरह सुरक्षित
- जहां पानी कम है, वहां भी हवा से ठंडा किया जा सकता है
- ज़्यादातर हिस्से फैक्ट्री में बनते हैं, जिससे काम आसान और तेज़ होता है
भारत की ऊर्जा ज़रूरतें और मोदी सरकार की सोच डॉ. सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत ने परमाणु ऊर्जा को लेकर गंभीर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उनका मानना है कि 2047 तक भारत की बिजली की ज़रूरतें कई गुना बढ़ेंगी, और परमाणु ऊर्जा इसमें बड़ा रोल निभाएगी। उन्होंने ये भी कहा – “मुझे यकीन है कि आने वाले वक्त में भारत के पास सैकड़ों SMR-300 रिएक्टर होंगे। तब बिजली सस्ती होगी, हवा-पानी साफ रहेगा और ज़्यादातर बिजली अपने देश में ही बन सकेगी। यही मेरा सपना है।”कानूनी रुकावटें भी जल्द दूर हो सकती हैं इस वक्त भारत में कुछ ऐसे कानून हैं जो निजी कंपनियों को परमाणु रिएक्टर बनाने से रोकते हैं। लेकिन उम्मीद है कि आने वाले मानसून सत्र में संसद में ऐसा कानून लाया जा सकता है जिससे SMR जैसे प्रोजेक्ट्स को कानूनी मंजूरी मिल सके। भारत-अमेरिका की ये साझेदारी सिर्फ भारत नहीं, और देशों के लिए भी फायदेमंद होगी डॉ. सिंह का मानना है कि भारत और अमेरिका की ये साझेदारी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इससे दक्षिण एशिया, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका जैसे इलाकों में भी परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने ये भी कहा कि अब वक्त है कि भारत ग्लोबल इन्वेस्टर्स को आकर्षित करे और इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर और खुला बनाए। अब सोचने का नहीं, काम करने का वक्त