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“संविधान की चिंता या दिखावा?” ममता बनर्जी का BJP पर तीखा हमला, कहा- ये लोकतंत्र का है मज़ाक

ममता बनर्जी का केंद्र सरकार पर तूफानी हमला: संविधान की रक्षा का पाठ पढ़ाने वाले खुद ही तोड़ रहे हैं संविधान!

भाजपा पर तीखा प्रहार, ‘संविधान हत्या दिवस’ की निंदा

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के ‘संविधान हत्या दिवस’ के फैसले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र और संविधान का मज़ाक है। ममता जी ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जो खुद संविधान को ताक पर रखते हैं, वही अब उसकी रक्षा की बात कर रहे हैं। यह महज दिखावा है, एक तरह का पाखंड।

हर दिन संविधान की हत्या?

ममता बनर्जी का कहना है कि अगर ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाना ही है, तो हर दिन मनाना चाहिए क्योंकि भाजपा रोज़ संविधान को कमज़ोर कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कामकाज लोकतांत्रिक नहीं हैं और मौजूदा हालात 1975 की आपातकालीन स्थिति से कम नहीं हैं। यह एक गंभीर आरोप है जिस पर गौर करने की ज़रूरत है।

महाराष्ट्र और बिहार में सरकारें गिराना संविधान की हत्या नहीं?

ममता बनर्जी ने सवाल किया कि क्या महाराष्ट्र और बिहार में चुनी हुई सरकारों को गिराना संविधान की हत्या नहीं है? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा चुनी हुई सरकारें गिराकर लोकतंत्र को कमज़ोर कर रही है और संविधान को अपने हिसाब से मोड़ने की कोशिश कर रही है। यह एक गंभीर आरोप है जो लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करता है।

चुनाव आयोग और मीडिया पर भी सवाल

ममता बनर्जी का मानना है कि चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया जैसे संस्थान भाजपा के दबाव में काम कर रहे हैं और उनकी निष्पक्षता खत्म हो गई है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। यह एक चिंताजनक बात है जो लोकतांत्रिक मूल्यों को कमज़ोर कर सकती है।

लोकतंत्र पर उपदेश देने से पहले खुद को देखें

ममता बनर्जी ने कहा कि जो पार्टी रोज़ लोकतंत्र को कुचल रही है, वह नैतिकता की बातें करना बंद करे। उन्होंने कहा कि देश का संघीय ढांचा कमज़ोर हो रहा है और केंद्र राज्य सरकारों की स्वायत्तता को खत्म करने में लगा है। यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

नोटबंदी: आर्थिक तबाही का दिन

ममता बनर्जी ने नोटबंदी को आर्थिक तबाही का दिन बताया और कहा कि 8 नवंबर को ‘आर्थिक तबाही दिवस’ के रूप में मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया था और उसका असर आज भी देश भुगत रहा है। यह एक ऐसी घटना है जिसके दूरगामी परिणाम सामने आए हैं।

देश कौन चला रहा है – मोदी या शाह?

अंत में ममता बनर्जी ने सवाल किया कि देश का प्रधानमंत्री कौन है – नरेंद्र मोदी या अमित शाह? उन्होंने कहा कि सरकार के फैसले अमित शाह की सोच पर आधारित हैं और ऐसा लगता है कि वह ही देश चला रहे हैं। यह एक ऐसा सवाल है जिस पर कई लोगों ने अपनी राय रखी है।

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