“म्यांमार को मुश्किल वक्त में भारत का साथ, पीएम मोदी बोले – ‘हम पूरी तरह मदद के लिए तैयार हैं'”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आँग हलैंग से मुलाकात कर उन्हें भरोसा दिलाया कि भारत म्यांमार में आए भयंकर भूकंप के बाद वहां के हालात को सामान्य करने में हर संभव मदद कर रहा है। इस भूकंप में हज़ारों लोगों की जान चली गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के सैन्य शासक जनरल मिन से बैंकॉक में बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) सम्मेलन के दौरान मुलाकात की। मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “बैंकॉक में बिम्सटेक सम्मेलन के दौरान म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आँग हलैंग से मुलाकात की। हाल ही में आए भूकंप में जानमाल के नुकसान पर फिर से संवेदनाएं व्यक्त कीं। इस कठिन समय में म्यांमार के हमारे भाई-बहनों की मदद के लिए भारत जो कुछ भी कर सकता है, वह कर रहा है।” यह प्रधानमंत्री मोदी और जनरल मिन के बीच पहली औपचारिक बातचीत थी। जनरल मिन ने फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद सत्ता संभाली थी। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि इस बातचीत में भारत और म्यांमार के बीच आपसी रिश्तों पर चर्चा हुई, खासकर संपर्क व्यवस्था, क्षमता निर्माण, बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को लेकर।
सूत्रों के अनुसार, जनरल मिन ने प्रधानमंत्री को राहत सहायता के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने गुजरात के भुज में आए भूकंप के बाद प्रधानमंत्री द्वारा किए गए पुनर्निर्माण कार्य और नेतृत्व की भी सराहना की, और कहा कि म्यांमार को इससे बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। बिम्सटेक समूह एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत के आस-पास बंगाल की खाड़ी से जुड़े देश शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य इन देशों के बीच संपर्क और सहयोग को बढ़ावा देना है। भारत ने म्यांमार में आए भूकंप के बाद “ऑपरेशन ब्रह्मा” शुरू किया है ताकि वहां राहत कार्यों में मदद की जा सके। बता दें कि म्यांमार में 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद जनरल मिन सत्ता में आए थे। करीब 35 मिनट चली इस बैठक में म्यांमार के शासक ने भारत द्वारा इतनी तेज़ी से मदद पहुंचाने की सराहना की, जो कि 28 मार्च को आए भूकंप के तुरंत बाद भेजी गई थी। प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि “हम मदद के लिए पूरी तरह तैयार हैं।” भारत ने म्यांमार के मंडाले में फील्ड अस्पताल भी तैनात किया है, जो भूकंप के केंद्र के पास स्थित है। म्यांमार प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंडाले में भारत द्वारा स्थापित अस्पताल का दौरा भी किया। इसके साथ ही भारत ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें भी वहां भेजी हैं जो राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं।
बिम्सटेक के लक्ष्यों को पूरा करने में म्यांमार की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है, क्योंकि सदस्य देशों को जोड़ने वाली ज़्यादातर परियोजनाएं म्यांमार होकर ही गुजरती हैं। हालांकि, म्यांमार में कई क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन की पकड़ बहुत कमज़ोर है। भूकंप जैसी भीषण आपदा म्यांमार के लिए वैश्विक समुदाय से जुड़ने और मानवीय सहायता पाने का एक मौका भी बन गई है। इस प्राकृतिक त्रासदी में अब तक 3,000 से अधिक लोगों की जान गई है, लगभग 5,000 लोग घायल हुए हैं और देशभर में करीब 370 लोग अब भी लापता हैं। जनरल मिन बिम्सटेक देशों के नेताओं के लिए आयोजित औपचारिक रात्रिभोज में भी शामिल हुए, जिसमें थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका जैसे देश भी मौजूद थे। थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के अनुसार, बिम्सटेक के मंत्री स्तरीय बैठक में आपदा प्रबंधन जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। जहां चीन ने म्यांमार को भेजी गई मदद की मात्रा का खुलासा किया है, वहीं भारत ने स्पष्ट किया है कि वह मानवीय सहायता को किसी पैसे के मूल्य में नहीं आंकता। भारत का मानना है कि संकट के समय किसी देश की मदद इंसानियत के नाते की जाती है, न कि दिखावे के लिए।