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शौर्य चक्र विजेता मुदासिर अहमद शेख कौन थे? जिनकी मां को पाकिस्तान जाने की इजाजत नहीं मिली

कौन हैं शहीद मुदासिर अहमद शेख: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को आतंकियों ने 26 बेगुनाह सैलानियों की बेरहमी से जान ले ली। इस खौफनाक हमले के बाद मोदी सरकार ने भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को देश से बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार इस मामले में कोई नरमी नहीं बरत रही, लेकिन एक खास मामले में अलग रुख अपनाया गया है। शहीद कांस्टेबल मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर को पाकिस्तान नहीं भेजा जाएगा। सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें चल रही थीं कि शमीमा अख्तर को भी भारत सरकार पाकिस्तान भेज रही है, लेकिन बारामूला पुलिस ने इन बातों को झूठा और बेबुनियाद बताया है। पुलिस ने साफ किया है कि शहीद मुदासिर की मां भारत में ही रहेंगी और उन्हें कहीं नहीं भेजा जा रहा।

शहीद मुदासिर की मां कहां से हैं?

शहीद कांस्टेबल मुदासिर अहमद शेख के चाचा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनकी भाभी शमीमा अब अपने घर लौट आई हैं और उन्हें पाकिस्तान डिपोर्ट नहीं किया गया। उन्होंने मोदी सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनकी भाभी पाक अधिकृत कश्मीर से हैं, जो असल में भारत का ही हिस्सा है। उन्होंने कहा, “केवल उन लोगों को देश से निकाला जाए जो सच में पाकिस्तान के नागरिक हैं।”

कौन थे मुदासिर अहमद शेख?

मुदासिर अहमद शेख जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल थे। 25 मई 2022 को बारामूला में जब आतंकी अमरनाथ यात्रा पर हमला करने की तैयारी में थे, तो मुदासिर ने बहादुरी से उनका सामना किया। इस ऑपरेशन में उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को ढेर कर दिया, लेकिन खुद भी बुरी तरह घायल होकर शहीद हो गए।

मिल चुका है शौर्य चक्र सम्मान

उनकी इस अद्भुत बहादुरी के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया, जो वीरता के लिए देश का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है। अमरनाथ यात्रा पर साजिश को नाकाम करने में उनकी भूमिका बहुत अहम रही थी।

राष्ट्रपति ने लगाया था गले

मई 2023 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में एक समारोह के दौरान शहीद मुदासिर की मां शमीमा को यह सम्मान सौंपा था। इस भावुक मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू ने उन्हें अपने गले से लगा लिया था। यह पल पूरे देश के लिए गर्व और भावनाओं से भरा हुआ था।

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