
26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने US सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार, भारत प्रत्यर्पण पर रोक की मांग
मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने खुद को भारत भेजे जाने से बचाने के लिए अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में एक आपातकालीन याचिका दाखिल की है। उन्होंने दावा किया है कि अगर उन्हें भारत भेजा गया तो उनके पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम होने के कारण उनके साथ अत्याचार किया जाएगा। 64 वर्षीय तहव्वुर राणा कनाडाई नागरिक हैं और इस समय लॉस एंजेलेस के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद हैं। उनका नाम पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जोड़ा जाता है, जो 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था।
राणा की अर्ज़ी में क्या कहा गया है?
राणा ने सुप्रीम कोर्ट के एसोसिएट जस्टिस और नौवें सर्किट के जस्टिस को संबोधित करते हुए “आपातकालीन रोक” की अर्जी दी है। उन्होंने दावा किया कि भारत प्रत्यर्पण होने की स्थिति में उनके साथ अत्याचार किया जा सकता है, जो संयुक्त राष्ट्र के यातना विरोधी कन्वेंशन और अमेरिकी कानून का उल्लंघन होगा। याचिका में कहा गया है, “एक पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम होने के नाते, और मुंबई हमले में आरोपी होने के कारण, भारत में उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाएगा।” राणा ने यह भी तर्क दिया कि उनकी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं, और भारत की जेलों में प्रत्यर्पण उनके लिए मृत्यु दंड के समान होगा।
राणा की स्वास्थ्य स्थिति का हवाला
राणा ने अपनी चिकित्सीय स्थिति का हवाला देते हुए दावा किया कि उनका स्वास्थ्य गंभीर रूप से खतरनाक स्थिति में है। याचिका में बताया गया कि जुलाई 2024 की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें कई दिल के दौरे, पार्किंसंस बीमारी, मूत्राशय कैंसर की संभावना, तीसरे चरण की किडनी की बीमारी, दमा, और कोविड-19 संक्रमणों का इतिहास रहा है। याचिका में कहा गया, “इन सभी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण, भारतीय जेल में उनका जिंदा बचना मुश्किल होगा। वहां उनके साथ अत्याचार की संभावना भी अधिक है, जिससे उनकी जल्द ही मौत हो सकती है।”
अमेरिकी सरकार और भारत का रुख
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उनकी सरकार ने तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की मंज़ूरी दे दी है। इससे पहले, जनवरी में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। राणा की कानूनी टीम ने 13 फरवरी को एक नई याचिका दायर की, जिसमें अमेरिका की विदेश विभाग (State Department) से यह जानने की कोशिश की गई कि भारत सरकार ने उनके मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर क्या कोई आश्वासन दिया है। लेकिन अमेरिकी सरकार ने इस अनुरोध पर कोई जवाब नहीं दिया।
राणा के वकीलों की अपील
राणा के वकीलों ने कहा, “अगर प्रत्यर्पण पर रोक नहीं लगाई गई, तो अमेरिका की अदालतों के पास इस मामले की समीक्षा करने का कोई अवसर नहीं रहेगा।” उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि “कम से कम इतना तो होना चाहिए कि राणा को अपनी अपील का पूरा अवसर मिले, ताकि उनकी जान बच सके।” याचिका में यह भी कहा गया, “अगर प्रत्यर्पण रोकने का आदेश नहीं दिया गया, तो अमेरिकी अदालतें इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाएंगी और जल्द ही राणा की मौत हो सकती है। इसलिए हम सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि प्रत्यर्पण पर रोक लगाई जाए और इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जाए।”
अगले कदम पर टिकी निगाहें
अब यह देखना बाकी है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर क्या निर्णय लेता है। अगर कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, तो उन्हें जल्द ही भारत भेजा जा सकता है, जहां भारतीय एजेंसियां उन्हें मुंबई हमले में उनकी भूमिका को लेकर कठघरे में खड़ा करेंगी।