
सैयद आदिल हुसैन: पहलगाम हमले में मारे गए कश्मीरी युवक को लोग ‘हीरो’ मान रहे हैं, क्योंकि उसने अपनी जान पर्यटकों को बचाते हुए दी। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में सैयद आदिल हुसैन शाह अकेले कश्मीरी मुस्लिम थे जिनकी जान गई। लेकिन उनकी मौत ने उन्हें एक हीरो बना दिया। आदिल वहां घोड़े चलाकर अपने परिवार का पेट पालते थे। हमले के वक्त जब उन्होंने देखा कि पर्यटक खतरे में हैं, तो वो अकेले आतंकियों से भिड़ गए। इसी बहादुरी में वो मारे गए। वो अपने घर के सबसे बड़े बेटे और इकलौते कमाने वाले थे। गांव में मातम पसरा है, लेकिन इस दुख के बीच आदिल के पिता सैयद हैदर शाह बेटे की बहादुरी पर गर्व से भर उठे हैं। उन्होंने कहा, “बेटे को खोने का दर्द बहुत गहरा है, लेकिन जिस तरह से उसने दूसरों की जान बचाने के लिए खुद की जान दी, उससे मुझे जीने की हिम्मत मिली है।” उन्होंने कहा, “मुझे अपने बेटे पर और उसकी शहादत पर बहुत गर्व है। मेरा बड़ा बेटा चला गया, लेकिन उसी गर्व की वजह से मैं जिंदा हूं। वरना, जब मैंने उसके बेजान शरीर को देखा, तो वहीं टूट जाता।”हैदर शाह बताते हैं, “ये बहुत दुखद है, पर हम क्या कर सकते हैं… वो ही तो एक था जो कमाता था। सुबह 8 बजे वह घोड़े लेकर निकला था, जैसे हर दिन जाता था। वहां घोड़ों का मालिक बैठता है और मजदूर 200-300 रुपये रोज़ कमाकर लौटते हैं। जब वो ऊपर की तरफ जा रहा था, तभी हमला हुआ।”
वो आखिरी दिन…
आदिल का आखिरी दिन आम दिनों जैसा ही था। वो सुबह काम पर गया और पर्यटकों को घोड़े पर सवारी करा रहा था। दोपहर करीब 3 बजे घरवालों को पहलगाम में हमले की खबर मिली। परिवार ने बार-बार उसे फोन किया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। जब वो पुलिस और फिर अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें सबसे बुरा अंदेशा सच होता दिखा। बताया गया कि आदिल ने हमलावरों से लड़ते हुए एक की बंदूक छीनने की भी कोशिश की, तभी उसे कई गोलियां मारी गईं। पिता ने बताया, “हमें शाम करीब 6 बजे पता चला कि मेरा बेटा और उसका चचेरा भाई अस्पताल में हैं। जो लोग उसे ढूंढ़ रहे थे, उन्होंने हमें सब बताया। मेरे बेटे की वजह से कुछ लोगों की जान बची — इसी बात से मुझे ताकत मिलती है और यही मेरे लिए गर्व की बात है।” मां की आंखें नम, दिल भरा हुआ आदिल की मां ने रोते हुए कहा, “वो रोज़ 300 रुपये कमाकर लाता था। हम शाम को चावल खरीदते थे और मिलकर खाते थे। अब खाना कौन लाएगा? दवाइयां कौन लाएगा? वो मर गया, लेकिन औरों को बचा गया। क्या कर सकते हैं… वो भी तो हमारे ही भाई थे।” छोटी बहन का दर्द आदिल की छोटी बहन रवीसा ने कहा, “हमारा पूरा परिवार टूट गया है। जब मुझे भाई के बारे में पता चला, तो जैसे सब कुछ खत्म हो गया। वो रोज़ 300 रुपये कमाकर लाता था, हम उसी पर जीते थे।”