
प्रयागराज : प्रयागराज के लोगों ने अपने घरों के दरवाजे उन सैकड़ों भूखे-प्यासे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए हैं, जो महाकुंभ में उमड़ी अप्रत्याशित भीड़ के कारण फंसे हुए हैं। तीर्थयात्रियों की भारी संख्या से शहर की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, लेकिन स्थानीय लोग, व्यापारियों और छात्र-छात्राओं ने आगे आकर मदद का हाथ बढ़ाया है। प्रयागराज के लोग बने तीर्थयात्रियों के मददगार मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ के बाद प्रशासन जहां भीड़ को संभालने में जुटा है, वहीं शहर के आम लोग भोजन, आश्रय और यातायात की सुविधा देकर श्रद्धालुओं की सेवा कर रहे हैं। स्थानीय निवासी डॉ. अंजलि केसरी कहती हैं, “प्रयागराज में हम महाकुंभ के श्रद्धालुओं को बाहरी नहीं मानते, वे हमारे मेहमान हैं और हम उनके मेजबान।“ उन्होंने बताया कि उनके मोहल्ले में लोगों ने मिलकर रेलवे स्टेशन के पास यात्रियों को भोजन बांटा। “कल ही हमने 80 लीटर दूध से बनी चाय और नाश्ता वितरित किया। कई लोगों ने तीर्थयात्रियों के लिए तहरी और दाल-चावल भी तैयार किए,” उन्होंने कहा। कई स्थानीय निवासियों ने अपने घरों के बाहर जगह साफ कर यात्रियों को रात बिताने की सुविधा दी है। “हमारे लिए कुंभ सिर्फ धार्मिक मेला नहीं, बल्कि मानवता का संगम है,“ डॉ. केसरी ने कहा। होटल भी आए आगे सिविल लाइंस में होटल विट्ठल के मालिक आलोक सिंह ने अपने 100 बिस्तर वाले डॉर्मिटरी को तीर्थयात्रियों के लिए निःशुल्क खोल दिया।
“संगम स्नान के बाद जब श्रद्धालु थककर लौटते हैं, तो उन्हें आराम की जरूरत होती है। मदद करना प्रयागराज की परंपरा है, यह हमारा योगदान है,” उन्होंने कहा। सामान्य दिनों में इस होटल में एक रात ठहरने का किराया 12,000 से 25,000 रुपये तक होता है। विश्वविद्यालयों के छात्र भी बने सहारा डॉ. मृत्युंजय परमार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर, ने बताया कि भगदड़ के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने परिसर और छात्रावासों के दरवाजे तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिए। “हमारे कई हॉस्टल – शताब्दी बॉयज हॉस्टल, केपीयूसी, पीसी बनर्जी और सर सुंदरलाल हॉस्टल – के छात्र यात्रियों की मदद कर रहे हैं,“ उन्होंने कहा। महादेवी वर्मा और कल्पना चावला छात्रावास की छात्राएं भी समूह में या व्यक्तिगत रूप से सेवा कर रही हैं।
विश्वविद्यालय परिसर को कुंभ में अस्थायी आश्रय स्थल बनाया गया है, जहां अधिकारी और छात्र मिलकर तीर्थयात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं। कानून के छात्र भी कर रहे मदद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी के छात्र भी सक्रिय हैं। बीए एलएलबी के अंतिम वर्ष के छात्र अभिनव मिश्रा ने बताया कि वे और उनके साथी श्रद्धालुओं को चाय, बिस्कुट और नाश्ता बांट रहे हैं। कुछ साथी श्रद्धालुओं की मदद के लिए मुफ्त बाइक राइड भी दे रहे हैं। हमारी फैकल्टी बैंक रोड के पास है, जहां से कई यात्री स्टेशन की ओर जाते हैं। जब हमने उनकी परेशानी देखी, तो हमें लगा कि हमें कुछ करना चाहिए,“ उन्होंने कहा। मिश्रा, जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य भी हैं, ने बताया कि संगठन तीर्थयात्रियों के लिए नि:शुल्क मेडिकल कैंप चला रहा है।
मुस्लिम समुदाय भी आया आगे पुराने शहर के यदगारे-हुसैनी इंटर कॉलेज, जो 1942 में जीटी रोड के पास बना मुस्लिम अल्पसंख्यक संस्थान है, ने भी तीर्थयात्रियों को शरण दी। “भगदड़ के बाद स्थिति आपातकाल जैसी हो गई थी। कॉलेज प्रबंधन ने तुरंत फैसला लिया और यात्रियों के लिए ठहरने, स्नैक्स, पानी और वॉशरूम की व्यवस्था की,“ संस्थान के पूर्व संस्थापक सदस्य हसन नक़वी ने बताया। आगामी महत्वपूर्ण स्नान पर्वों को देखते हुए कॉलेज में सुविधाएं बढ़ाने की तैयारी हो रही है। यहां तीर्थयात्रियों को खिचड़ी और अन्य भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। “यह शहर सभी का स्वागत करता है” शिक्षाविद् और सांस्कृतिक कार्यकर्ता ज़फ़र बख़्त ने बताया कि कुंभ से पहले कई परिचितों ने उनसे भीड़ को लेकर चिंता जताई थी। “मेरा जवाब हमेशा यही होता था – प्रयागराज आपको बुला रहा है, व्यवस्था की चिंता मत करिए, बस आइए और पुण्य कमाइए,“ उन्होंने कहा। उन्होंने एक वाकया साझा किया कि कैसे फाफामऊ के पास कुछ तीर्थयात्री रुके हुए थे, तो उन्होंने तुरंत वाहन का इंतजाम किया और उन्हें अपने घर में ठहराया।
“यह सिर्फ एक उदाहरण है। प्रयागराज के लोगों में सेवा भाव रचा-बसा है,“ बख़्त ने कहा। “बचपन से मैं हर कुंभ और माघ मेले का हिस्सा रहा हूं, संतों से मिला हूं और देवराहा बाबा के कुटिया में दर्शन किए हैं। कुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का उत्सव है।” उन्होंने भीड़ को लेकर चिंतित श्रद्धालुओं को संदेश दिया, “जब प्रयागराज के लोग हैं, तो डर किस बात का?” भंडारों में उमड़ी सेवा भावना हरशवर्धन मार्ग पर सेक्टर 17 में रातभर चलने वाले भंडारे में सेवा दे रहे डॉ. कृष्णा सिंह, जो पेशे से डेंटिस्ट हैं, ने बताया, “हम रातभर भंडारा चलाते हैं ताकि कोई भूखा न रहे। यह शाम 5 बजे से रात 2 बजे तक चलता है।” भगदड़ में गईं 30 जानें बुधवार तड़के संगम नोज पर हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए। 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा और हर दिन लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। यूपी सरकार के मुताबिक, गुरुवार तक लगभग 30 करोड़ श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगा चुके थे।