
यह खबर तब सामने आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को एक लंबी फोन बातचीत की। व्हाइट हाउस चाहता है कि रूस उसके 30-दिन के युद्धविराम प्रस्ताव पर सहमत हो जाए, जिससे यूक्रेन में जारी युद्ध को रोका जा सके। व्हाइट हाउस और क्रेमलिन ने बातचीत के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी, लेकिन दोनों ने पुष्टि की कि कॉल पूरी हो चुकी है। इस बातचीत से पहले ट्रंप ने कहा था कि वह पुतिन से उन इलाकों और पावर प्लांट्स के बारे में चर्चा करेंगे, जो तीन साल से जारी इस युद्ध के दौरान रूसी सेना के कब्जे में आ गए हैं। पिछले हफ्ते सऊदी अरब में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की मध्यस्थता में हुई बातचीत के बाद यूक्रेनी अधिकारियों ने अमेरिकी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की अभी भी इस बात को लेकर संशय में हैं कि क्या पुतिन वास्तव में शांति के लिए तैयार हैं, क्योंकि रूसी सेना लगातार यूक्रेन पर हमले कर रही है। ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिका-रूस संबंधों में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। ट्रंप ने युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करना अपनी प्राथमिकता बताया है, भले ही इसके कारण अमेरिका के उन सहयोगियों से मतभेद हो जाए, जो चाहते हैं कि रूस को उसके हमले की कीमत चुकानी पड़े।
ट्रंप ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, “रूस की स्थिति भी खराब है और यूक्रेन की भी। जो कुछ भी यूक्रेन में हो रहा है, वह अच्छा नहीं है, लेकिन हम शांति समझौते और युद्धविराम के लिए काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि हम इसमें सफल होंगे।” ट्रंप और पुतिन की बातचीत की तैयारी में व्हाइट हाउस के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने पिछले हफ्ते मॉस्को जाकर पुतिन से इस प्रस्ताव पर चर्चा की थी। वहीं, रुबियो ने सऊदी अरब में वरिष्ठ यूक्रेनी अधिकारियों को इस युद्धविराम समझौते पर सहमत होने के लिए राजी किया था। पुतिन ने पिछले हफ्ते संकेत दिया था कि उन्हें अमेरिकी प्रस्ताव से कोई खास आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि रूस चाहता है कि यूक्रेन इस युद्धविराम का फायदा उठाकर अपनी सेना को फिर से संगठित न करे। रूसी राष्ट्रपति ने यह भी मांग रखी है कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने की अपनी कोशिशें छोड़ दे, अपनी सेना की ताकत में कटौती करे और रूसी भाषा और संस्कृति की सुरक्षा सुनिश्चित करे, जिससे यूक्रेन पर रूस का प्रभाव बना रहे।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और रूस पहले ही इस बात पर चर्चा शुरू कर चुके हैं कि युद्ध समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच यूक्रेनी जमीन और पावर प्लांट्स का बंटवारा कैसे किया जाए। अपने चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने युद्ध को जल्द खत्म करने का वादा किया था। उन्होंने कई मौकों पर पुतिन की तारीफ भी की और यूक्रेन को ही इस युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया। ट्रंप का आरोप है कि ज़ेलेंस्की खुद इस युद्ध को लंबा खींच रहे हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मंगलवार को कहा कि पुतिन और ट्रंप यूक्रेन युद्ध पर चर्चा करेंगे, लेकिन साथ ही अमेरिका-रूस संबंधों को सामान्य करने से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर भी बात होगी। ट्रंप ने साफ कर दिया कि जमीन और पावर प्लांट्स के नियंत्रण का मुद्दा उनकी बातचीत का अहम हिस्सा रहेगा। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है, जब रूस द्वारा यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र को अपने कब्जे में लेने की 11वीं वर्षगांठ है। 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा जमाने के बाद ही 2022 में यूक्रेन पर रूस के बड़े हमले की नींव पड़ी थी।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि यूक्रेन के सबसे बड़े ज़ापोरिज़्ज़िया न्यूक्लियर पावर प्लांट को लेकर भी चर्चा हो रही है। यह प्लांट रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का अहम केंद्र बना हुआ है और यहां किसी भी दुर्घटना का खतरा है। इस न्यूक्लियर प्लांट ने युद्ध से पहले यूक्रेन की 25% बिजली का उत्पादन किया था। लेविट ने कहा, “हम शांति समझौते के बेहद करीब हैं। इससे पहले हम कभी भी युद्ध खत्म करने के इतने करीब नहीं रहे। और राष्ट्रपति ट्रंप इसे पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” हालांकि, फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के वरिष्ठ निदेशक ब्रैडली बोमन का मानना है कि पुतिन युद्ध खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं और वह ट्रंप की जल्दबाजी का फायदा उठाकर और रियायतें हासिल करना चाहेंगे। फरवरी में व्हाइट हाउस में ज़ेलेंस्की से हुई असफल मुलाकात के बाद ट्रंप ने यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी साझा करना और सैन्य सहायता अस्थायी रूप से रोक दी थी। हालांकि, पिछले हफ्ते जब यूक्रेन ने युद्धविराम प्रस्ताव को मंजूरी दी, तो यह सहायता बहाल कर दी गई।
ज़ेलेंस्की ने सोमवार को अपने वीडियो संदेश में साफ कर दिया कि उन्हें अब भी पुतिन की नीयत पर भरोसा नहीं है। “अब, एक हफ्ते बाद, दुनिया में हर कोई – यहां तक कि वे लोग भी जो पिछले तीन साल से सच्चाई को नजरअंदाज कर रहे थे – यह समझ चुके हैं कि पुतिन ही इस युद्ध को लंबा खींच रहे हैं,” ज़ेलेंस्की ने कहा। ट्रंप का हमेशा से मानना रहा है कि बातचीत में जिसका पलड़ा भारी होता है, उसकी शर्तें मानी जाती हैं। वह बार-बार कहते रहे हैं कि इस वक्त पुतिन के पास ‘पत्ते’ हैं, जबकि ज़ेलेंस्की के पास कुछ नहीं। ट्रंप, जो लंबे समय से पुतिन की प्रशंसा करते रहे हैं, अमेरिका-रूस संबंधों को दोबारा सामान्य करना चाहते हैं। हाल ही में ज़ेलेंस्की के साथ अपनी तनावपूर्ण बैठक में ट्रंप ने कहा, “पुतिन को मेरे साथ बहुत कुछ झेलना पड़ा,” जो कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस की दखलअंदाजी की जांच की ओर इशारा करता है।
ट्रंप ने सोमवार को फिर कहा कि इस समय यूक्रेन की स्थिति कमजोर है। उन्होंने दावा किया कि रूसी सेना ने यूक्रेन के सैनिकों को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में घेर लिया है। हालांकि, ज़ेलेंस्की ने इस दावे का खंडन किया है। पिछले साल अगस्त में यूक्रेन ने रूस पर जोरदार हमला कर करीब 500 वर्ग मील जमीन वापस ले ली थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। यूक्रेनी सेना लगातार पीछे हट रही है और रूस के साथ शांति समझौते की संभावना बढ़ रही है। ज़ेलेंस्की ने माना कि यूक्रेनी सेना इस समय दबाव में है, लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनके सैनिक कुर्स्क में रूसी सेना से घिरे हुए हैं। ट्रंप ने संकेत दिया कि उन्होंने कुछ ऐसा किया है, जिससे यूक्रेनी सैनिकों को कुर्स्क में रूस के हाथों मारे जाने से बचाया जा सका। “वे रूसी सैनिकों से घिरे हुए हैं, और मुझे लगता है कि अगर मैं नहीं होता, तो वे अब तक जिंदा नहीं होते,” ट्रंप ने कहा।