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कश्मीर पर ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश ने मचाया सियासी तूफान, विपक्ष ने सरकार से मांगा जवाब

ट्रम्प के बयान ने राजनीति में तूफान ला दिया है!

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत-पाकिस्तान कश्मीर विवाद में मध्यस्थता की पेशकश ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है। उन्होंने युद्धविराम में अपनी भूमिका का भी दावा किया है, जिससे विपक्षी दलों में खलबली मच गई है। कांग्रेस समेत कई दलों का कहना है कि यह भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला है और विदेश नीति में दखलअंदाज़ी है। विपक्ष की मांग है कि इस मामले पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हो और संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।

कपिल सिब्बल का सवाल: पीएम मोदी कहाँ हैं?

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने ट्रम्प के सोशल मीडिया पोस्ट पर सरकार से जवाब माँगा है। उन्होंने सवाल उठाया है कि इतने गंभीर अंतर्राष्ट्रीय बयान पर सरकार ने विपक्ष को कोई स्पष्ट जानकारी क्यों नहीं दी। उनका कहना है कि जब तक खुद प्रधानमंत्री मोदी ऐसी बैठक की अगुवाई नहीं करते, तब तक विपक्ष इसमें शामिल नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री होते, तो संसद का विशेष सत्र पहले ही बुला दिया गया होता।

मनीष तिवारी का इतिहास का पाठ

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्रम्प के ‘1000 साल पुराने विवाद’ वाले बयान को गलत बताया है। उन्होंने बताया कि कश्मीर विवाद की शुरुआत 22 अक्टूबर 1947 को हुई थी, जब पाकिस्तान ने हमला किया था। 26 अक्टूबर को महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय का फैसला किया था। तिवारी का कहना है कि इतिहास साफ है और किसी को भी भ्रमित नहीं होना चाहिए।

जयराम रमेश का सवाल: शिमला समझौता ख़त्म?

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अमेरिकी विदेश मंत्री के ‘न्यूट्रल फोरम’ वाले बयान पर चिंता जताई है। उन्होंने पूछा है कि क्या भारत अब तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार कर रहा है? क्या हम शिमला समझौते से पीछे हट रहे हैं? रमेश ने सरकार से स्पष्टीकरण माँगा है और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

शशि थरूर का शांत संदेश

कांग्रेस सांसद शशि थरूर का मानना है कि अब शांति का समय है। उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवादियों को सबक सिखाया है और अब युद्ध की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि 2023 की स्थिति 1971 जैसी नहीं है और शांतिपूर्ण समाधान की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने पहलगाम घटना के दोषियों को सज़ा दिलाने की भी मांग की है।

मनोज झा का ट्रम्प पर तंज

राजद सांसद मनोज झा ने ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश पर नाराज़गी जताई है और अमेरिका को अपनी सीमा में रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को जवाब दिया है और अमेरिका ने बिना भारत की राय लिए युद्धविराम का ऐलान कर दिया, जो शिमला समझौते के खिलाफ है।

ट्रम्प का दावा: कश्मीर में शांति दूत

डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि भारत और पाकिस्तान ने सही समय पर शांति का रास्ता चुना, नहीं तो लाखों लोगों की जान जा सकती थी। उन्होंने खुद को इस शांति में मददगार बताया और फिर से ‘1000 साल पुराना मुद्दा’ कहकर कश्मीर पर बात की।

भारत का साफ़ रुख: कश्मीर हमारा है

भारत सरकार का रुख स्पष्ट है: कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और किसी तीसरे पक्ष की इसमें कोई भूमिका नहीं हो सकती। शिमला समझौते के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच के मुद्दे आपसी बातचीत से ही सुलझेंगे।

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